किसान आंदोलन: शहरों में आफत, फल-सब्जी के भाव बढ़े

कर्ज माफी और उपज के लाभकारी मूल्य को लेकर किसानों के आंदोलन के दूसरे दिन शनिवार को सब्जी-फल की कीमतों में तेजी आनी शुरू हो गई। राष्ट्रीय किसान महासंघ के बैनर तले 172 संगठनों के आह्वान पर किसानों ने अपनी उपज मंडियों तक भेजना बंद कर दिया है। इस कारण मंडियों में आवक कम हो गई है और सब्जियों की खुदरा कीमतों में 10-20 रुपये प्रति किग्रा की बढ़ोतरी दर्ज की गई है।

उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब, मध्य प्रदेश और महाराष्ट्र सहित सात राज्यों में इस आंदोलन का खासा असर दिख रहा है। पंजाब में जालंधर की सबसे बड़ी सब्जी मंडी में 20 किग्रा का टमाटर का क्रेट 40-47 रुपये में मिल रहा था वह 300 रुपये से ज्यादा में बिका। इसमें पांच गुना से ज्यादा बढ़ोतरी दर्ज की गई। चंडीगढ़ में 10-15 रुपये प्रति किग्रा के भाव बिक रहा टमाटर 20-25 रुपये पर पहुंच गया है। सप्लाई कम होने से टमाटर के अलावा आलू, शिमला मिर्च, लौकी और खीरे के भाव भी चढ़ गए हैं।

एक दिन पहले दिल्ली की थोक मंडी में 10-50 रुपये कैरेट बिकने वाला टमाटर 250-300 रुपया तक पहुंच गया। आजादपुर मंडी के बिक्रेता अनिल मल्होत्रा के अनुसार टमाटर की खेप मंडी में शनिवार को काफी कम पहुंची। दो-तीन दिन बाद ही पता चलेगा कि अन्य सब्जियों व फलों पर आंदोलन का क्या असर पड़ता है, क्योंकि किसानों ने अभी चक्का जाम नहीं किया है। आलू-प्याज के थोक बिक्रेता श्रीकांत मिश्रा का कहना है कि प्याज के भाव में 2-3 रुपये की बढ़ोतरी हुई है। अभी इसका भाव और बढ़ेगा क्योंकि प्याज इन दिनों मध्य प्रदेश से ही आ रहा है।

पंजाब में छिटपुट हिंसा

राज्य में किसानों के आंदोलन में हिंसा की छिटपुट घटनाएं हुईं। अबोहर में सड़कों पर सब्जियां फेंकी गईं और नाकों पर इकट्ठा दूध बच्चों को पिला दिया गया। फाजिल्का रोड पर एक दूधिये के साथ मारपीट भी हुई, जिसे अस्पताल में दाखिल करवाया गया। तरनतारन मंडी में किसानों ने उचित मूल्य न मिलने पर सब्जियां सड़कों पर फेंक दीं। कोटकपूरा में किसानों द्वारा दूधियों को सप्लाई करने से रोकने पर विवाद खड़ा हो गया।

पुलिस ने तीन किसानों को हिरासत में लिया। बठिंडा में दूधियों को रोक रहे किसानों पर पुलिस ने लाठीचार्ज किया, जिसमें एक किसान जख्मी हो गया। जालंधर में किसानों ने सब्जी मंडी में हंगामा किया, ट्रालियों की हवा निकाली और सड़क पर दूध बहाया। अबोहर में दूसरे राज्यों से आए करोड़ों के माल से लदे ट्रक सड़कों पर खड़े हैं। इन ट्रकों पर लदे फल के गर्मी में खराब होने की आशंका है। लुधियाना में मंडियां वीरान नजर आईं। संगरूर, धूरी में दुकानों में घुसकर दूध फेंका गया।

हरियाणा में आंशिक असर

किसानों ने सड़कों पर दूध बिखेर और सब्जियां फेंक कर विरोध जताया। जींद के वीटा प्लांट में 67 हजार लीटर की जगह महज 1700 लीटर दूध ही पहुंचा। फतेहाबाद के टोहाना में दूध नहीं पहुंचा। रतिया में किसान संगठनों ने नाके लगाकर दूध की आपूर्ति रोकी। कुरुक्षेत्र में किसानों ने टमाटर के साथ डीसी ऑफिस पर धरना दिया। अंबाला में किसानों ने मंडी बंद करने की कोशिश कर दूध की आपूर्ति रोकी।

यूपी में आपूर्ति प्रभावित

राज्य के संभल जिले के फरीदपुर मऊ, शहजादपुर, खिनकी, भदौरा और मुबारिकपुर गांवों में किसानों ने शहरों को टमाटर, दूध, लौकी-तोरईं आदि कोई भी सामान नहीं जाने दिया। इसी तरह मुरादाबाद की बिलारी तहसील में किसानों के आंदोलन का प्रभाव रहा। पट्टी हसनपुर, हनुपुरा और सुंदरपुर आदि गांवों में किसानों ने दूध-सब्जी की सप्लाई रोक दी। इसके चलते मंडी में करीब 800 क्विंटल सब्जी कम आई।

राजस्थान में हड़ताल का सामान्य जनजीवन पर तो कोई असर नहीं पड़ा है लेकिन राज्य के श्रीगंगानगर, हनुमानगढ़ और झुंझुनू जिलों में किसानों ने मंडियों में दूध और सब्जी की सप्लाई नहीं की। महाराष्ट्र के नासिक में भी सब्जी और दूध की सप्लाई पर असर पड़ा है। राष्ट्रीय किसान सभा के कार्यकारी अध्यक्ष राजू देसाले ने बताया कि जिले की सभी दूध डेयरियां बंद हैं और दूध का कलेक्शन प्रभावित हुआ है। आंदोलनकारी किसानों ने येवला तालुका के विसापुर में सड़कों पर दूध बहाकर प्रदर्शन किया। मध्य प्रदेश के मंदसौर में किसानों ने दूध और चावल की खीर बनाई और उसे गांववालों में बांट दिया।

यह पब्लिसिटी स्टंट है: केंद्रीय कृषि मंत्री

केंद्रीय कृषि मंत्री राधामोहन सिंह ने इस आंदोलन को पब्लिसिटी स्टंट करार दिया। उन्होंने कहा कि किसान मीडिया में आने के लिए किस्म-किस्म के तरीके अपना रहे हैं ताकि उन्हें प्रचार मिल सके।

किसानों के पास कोई मुद्दा नहीं: खट्टर

हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने कहा कि किसानों के पास कोई मुद्दा नहीं है और उनका यह आंदोलन गैरजरूरी है। अगर वे अपनी उपज नहीं बेचेंगे तो इसका घाटा भी उन्हीं को उठाना पड़ेगा।

अंतरराष्ट्रीय कारणों से किसान संकट: गडकरी

केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि सरकार किसानों की समस्याओं को हल करने के लिए युद्ध स्तर पर काम कर रही है। किसानों के संकट के लिए अंतरराष्ट्रीय आर्थिक स्थिति और अनाज का अति उत्पादन जिम्मेदार हैं।

खेती पर संकट: राहुल

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने कहा कि कृषि क्षेत्र पर छाए संकट की तरफ केंद्र सरकार का ध्यान खींचने के लिए किसान भाई दस दिनों का आंदोलन करने पर मजबूर है।