किसी पर भी ज़ुलम क़ौम पर-दाग़ के मानिंद , इत्तेहाद की ज़रूरत:मोदी

नई दिल्ली 02 दिसंबर: वज़ीर-ए-आज़म नरेंद्र मोदी ने फिर एक-बार मसलेहती अंदाज़ इख़तियार करके पार्टीयों से जमाती सियासत से बालातर हो कर काम करने की अपील करते हुए कहा कि ज़ुलम का कोई भी वाक़िया समाज और क़ौम पर-दाग़ है और कहा के इत्तेहाद और हम-आहंगी ही तरक़्क़ी का वाहिद रास्ता है।

एसे माहौल में जबकि तन्क़ीद और जवाबी तन्क़ीदें हो रही हैं और खास्कर उन लोगों पर सवाल उठाए जा रहे हैं, जिन्हों ने रवादारी के मसले पर लब-कुशाई की और उनमें से बाअज़ लोगों को पाकिस्तान चले जाने कहा मुताल्लिक़ रिमार्कस हुए हैं, वज़ीर-ए-आज़म ने कहा कि 125 करोड़ हिंदुस्तानियों में से किसी की भी हुब्ब-उल-व्तनी पर सवाल नहीं उठाए जा सकते। वो दस्तूर पर राज्य सभा में मबाहिस का इख़तेताम करते हुए मुख़ातिब थे।

पिछ्ले हफ़्ते लोक सभा में किए गए ख़िताब की तरह मोदी ने फिर एक-बार अप्पोज़ीशन के मसलेहती अंदाज़ इख़तियार किया जबकि पार्लियामेंट के अंदर माहौल एसा हैके एवान-ए-बाला में बाज़ कलीदी बिल्स फंसे हुए हैं। वज़ीर-ए-आज़म ने तमाम मसाइल पर दो तरफ़ा हल का तरीका-ए-कार इख़तियार करने पर-ज़ोर दिया, एसी कोशिशों की मज़म्मत की जो तास्सुब तंगनज़री की तरफ़ ले जाएं या क़ौम से मुताल्लिक़ किसी मसले पर इंतिशार पसंद सियासत इख़तियार की जाये।

मोदी ने मबाहिस पर अपने 40 मिनट के जवाब में कहा कि अगर किसी के भी ख़िलाफ़ ज़ुलम का कोई वाक़िया होता है तो ये हम तमाम पर बदनुमा दाग़ है, समाज के लिए भी कलंक है और क़ौम को भी शर्मिंदगी होगी। हम तमाम को दुख होना चाहीए और ये बात यक़ीनी बनानी चाहीए कि इस तरह के वाक़ियात का इआदा ना होने पाए। अगरचे उन्होंने ख़ुसूसीयत से किसी वाक़िये का तज़किरा नहीं किया लेकिन इस बयान को दादरी मुआमले से मंसूब किया जा सकता है जहां एक मुस्लिम शख़्स को गाय का गोश्त खाने की अफ़्वाहों पर क़त्ल कर दिया गया।