किसी प्रोग्राम में स्पीच और अपनी सेवाएं देने के लिए मोटी रक़म लेती हैं निकी हेली!

अमरीका के सीएनबीसी टीवी चैनल ने बताया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ में अमरीका की राजदूत निकी हेली जो नए वर्ष में अपने इस पद से हट चुकी हैं वह किसी कार्यक्रम में भाषण देने या किसी मामले में सलाहकार के रूप में सेवा देने की 2 दो लाख डालर फ़ीस लेंगी।

उन्हें भाषण या परामर्श के लिए बुलाने वालों की लंबी सूची अमरीका, इस्राईल और फ़ार्स खाड़ी के अरब देशों में नज़र आएगी। अमरीकी या यूरोपीय राजनेता अथवा कूटनयिक मोटी मोटी रक़में लेकर राजनैतिक कार्यक्रमों में भाषण देते आए हैं और वह इस तरह काफ़ी धन कमा रहे हैं। अमरीका की पूर्व विदेश मंत्री हिलैरी क्लिंटन ने 22 मिलियन डालर की रक़म बनाई हैं।

वह विदेश मंत्री रहते हुए पूरे साल में जितना वेतन पाती थीं उतनी रक़म वह अब अपने एक घंटे के भाषण से कमा लेती हैं। ब्रिटेन के पूर्व विदेश मंत्री टोनी ब्लेयर की दौलत तो 100 मिलियन पाउंड तक पहुंच चुकी है। उन्होंने यह दौलत सलाहकार की भूमिका अदा करके और अपने भाषणों से कमाई है।

उन्होंने वर्ष 2009 में कुवैत को भविष्य का विजन तैयार करने में सलाहकार की सेवा देकर 43 मिलियन डालर कमाए थे। कुछ टीकाकार कहते हैं कि उन्हें यह रक़म इसलिए मिली कि इराक़ पर हमला और क़ब्ज़ा करवाने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका रही।

निकी हेली को इस्राईल के अंध भक्तों में गिना जाता है वह इस्राईल के समर्थन में शर्मनाक हरकतें करने से भी नहीं कतरातीं। निकी हेली ने राजदूत के रूप में पद छोड़ने से पहले बड़ी कोशिश की कि दिसम्बर महीने में फ़िलिस्तीनी संगठन हमास के विरुद्ध महासभा से प्रस्ताव पारित करवाएं और उसे आतंकियों की सूचि में शामिल करवाएं मगर उन्हे शर्मनाक नाकामी हाथ लगी।

हेली द्वारा पेश किए गए प्रस्ताव का 76 देशों ने विरोध किया। इस्राईल के समर्थन में उनका सबसे महशूर जुमला वह है जो उन्होंने वर्ष 2017 में अमरीकी यहूदी लाबी आइपेक के सालाना सम्मेलन में कहा। उन्होंने कहा था कि वह ऊंची हील की सैंडल फ़ैशन के लिए नहीं इसलिए पहनती हैं कि इस्राईल के विरुद्ध कोई भी हरकत करने वाले व्यक्ति के सिर पर उसे मारें।

पार्स टुडे डॉट कॉम के अनुसार, निकी हेली के इस प्रकार के बयानों का अमरीका के भीतर और बाहर ज़ायोनी लाबियों द्वारा स्वागत किया जाना स्वाभाविक है। मगर अनुमान यह है कि निकी हेली के लिए रेड कारपेट बिछाने वालों में अरब सरकारें भी आगे आगे नज़र आएंगी। वैसे हम कामना करते हैं कि हमारा यह अनुमान ग़लत साबित हो।