अहमदाबाद: नोटबंदी के बाद बैंकों और एटीएम से तय की गई कैश निकालने की सीमा पर अब रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया को कोर्ट के समक्ष सफाई देनी पड़ेगी। अब आर बी ई को बताना होगा कि वह किस आधार पर कैश निकालने की सीमा को तय किया है. दरअसल, गुजरात हाईकोर्ट में भाव नगर जिला सहकारी बैंक के चेयरमैन ने कैश निकासी को लेकर याचिका दायर की थी।
बैंक के चेयरमैंन नानुभाई वाघानी की ओर से सवाल पूछा गया था कि आरबीआई ऐक्ट और बैंकिंग नियामक कानूनों में कहीं भी नकदी निकासी की सीमा तय करने की बात नहीं है, फिर रिजर्ब बैंक ने ऐसा फैसला कि आधार पर लिया?
अमर उजाला के अनुसार याचिका पर सुनवाई कर रहे चीफ जस्टिस आर.एस रेड्डी और जस्टिस वीएम पंचोली ने रिजर्व बैंक से पूछा कि आखिर कैसे जिला सहकारी बैंकों में नकदी की निकासी पर पाबंदी लगाई गई। अदालत ने रिजर्ब बैंक से कहा कि अथॉरिटी के पास नोटों को बैन करने का अधिकार तो होता है, लेकिन नोटों के निकासी की सीमा तय करने का अधिकार कैसे लिया?