कुरान और हदीस की रौशनी में आईएस “काफ़िर” हैं – अल अजहर यूनिवर्सिटी

मिस्र की महान शिक्षण स्थल अल अजहर यूनिवर्सिटी में शरीयत के प्रोफेसर डॉक्टर अहमद करीमा ने बता दिया है कि आइएस संगठन के सदस्यों “अल्लाह की शरीयत और उसके रसूल पर लाई हुई हिदायत के खिलाफ अपने कार्यों और अपराध के कारण काफ़िर और संकीर्णता और वह मुर्तद होकर मिल्लत इस्लामिया से बाहर हो चुके हैं।

अल अर्बिया डॉट नेट से विशेष बातचीत में उन्होंने कहा कि आईएस तत्वों ने पवित्रता वाली बातें, दूसरों के खून, माल और आबरू को हलाल कर लिया तो शरई न्यायपालिका पर वाजिब है कि वे इस संबंध में शरई बयान जारी करें।

डॉक्टर अहमद करीमा के अनुसार “आईएस ने अपने लिए मारने, जलाने, वध करने, लूट, महिला बलात्कार और जनता की संपत्ति को नष्ट करने के कृत्यों को हलाल जान लिया। धार्मिक गुरुओं का फैसला है कि जो कोई इन बातों को मान्यता होगा वह धर्म से मुर्तद हो गया और इस्लाम से खारिज हो गया।

इसलिए कि अल्लाह के आदेश को रद्द किया है। इस्लाम सख्ती से किसी भी व्यक्ति को जलाने, विसर्जित करने और कैदियों को यातना और नुकसान से मना करता है। क़ानून तो एहसान करने पर जोर देती है। जंग-ए-बदर के बाद लगभग हर जलीलुल क़द्र सहाबी के पास काफिरों कुरैशी का एक कैदी जरूर था जिसे वह खाने-पीने में खुद पर तर्जीह देते थे। ”