कुवैत के इंतिख़ाबात: लिबरल अफ़राद का फ़ायदा शिया फ़िर्क़े को सब से ज़्यादा नुक़्सान

कुवैत की शिया अक़लिययत अपनी आधी से ज़्यादा नशिस्तें खो चुकी हैं और लिबरल अफ़राद को ख़लीजी ममलकत कुवैत के गुज़िश्ता 8 माह में दूसरी बार इंतिख़ाबात में थोड़ा सा फ़ायदा हासिल हुआ। सरकारी तौर पर आज सुबह इंतिख़ाबी नताइज का ऐलान कर दिया गया।

क़तई नताइज अदालती ओहदेदारों की जानिब से जारी किए गए जिनसे ज़ाहिर होता है कि शिया उम्मीदवार 50 रुकनी पार्लियामेंट में सिर्फ़ 8 नशिस्तें हासिल करने में कामयाब रहे। गुज़िश्ता दिसंबर में मुनाक़िदा पारलिमानी इंतिख़ाबात में उन्होंने 17 नशिस्तों पर कामयाबी हासिल करते हुए एक रिकार्ड क़ायम किया था, लेकिन गुज़िश्ता माह अदालत के एक फ़ैसले में गुज़िश्ता इंतिख़ाबात को कलअदम क़रार दे दिया गया था। कुवैत के मुक़ामी शहरीयों की आबादी में शिया फ़िर्क़ा के तक़रीबन 30 फ़ीसद अफ़राद शामिल हैं। कुवैत की जुमला आबादी 12 लाख 30 हज़ार है।

सरकारी आदाद-ओ-शुमार के बमूजब इंतिख़ाबी नताइज में राय दही में नुमायां इज़ाफ़ा देखा गया। विज़ारत इत्तिलाआत की वेब साईट पर शाये आदाद-ओ-शुमार के बमूजब कल की राय दही में 52.5 फ़ीसद राय दहिंदों ने हिस्सा लिया जब कि गुज़िश्ता दिसंबर में मुनाक़िदा राय दही में सिर्फ़ 40 फ़ीसद राय दहिंदों ने हक़े राय दही इस्तिमाल किया था। बाज़ ग्रुपस ने जिन्होंने गुज़िश्ता इंतिख़ाबात का बायकाट किया था, इस बार इंतिख़ाबात में हिस्सा लेने का फ़ैसला किया। खासतौर पर बद्दू क़बीला और फ़राख़ दिल ग्रुपस ने इंतिख़ाबात में हिस्सा लिया। फ़राख़ दिल ग्रुप को गुज़िश्ता पार्लियामेंट में एक भी नशिस्त हासिल नहीं थी। उन्हें इस बार 3 नशिस्तों पर कामयाबी हासिल हुई। सु सुन्नी इस्लाम पसंदों की तादाद में इज़ाफ़ा हुआ। गुज़िश्ता पार्लियामेंट में उनकी 5 नशिस्तें थीं, लेकिन इस बार वो 7 नशिस्तें हासिल करने में कामयाब रहे। रेगिस्तानी इमारत कुवैत में शिद्दत की गर्मी के बावजूद जब कि दर्जा हरारत 45 दर्जा सेल्सियस होगया था और राय दहिंदे रोज़ेदार थे, इस के इलावा अपोज़िशन पार्टियों ने राय दही का बायकाट किया था, लेकिन वोट डालने वाले राय दहिंदों की तादाद में नुमायां इज़ाफ़ा हुआ। गुज़िश्ता पार्लियामेंट में 3 ख़ातून अरकान थीं, लेकिन इस बार उनकी तादाद 2 होगई। नई पार्लियामेंट में 26 नए चेहरे शामिल हैं, जिस से कुवैती राय दहिंदों की तबदीली की ख़ाहिश ज़ाहिर होती है ताकि सियासी बोहरान ख़त्म किया जा सके।