केंद्र सरकार और RBI में समन्वय की कमी, रिश्ते में तनाव ?

नई दिल्ली: नोटबंदी की घोषणा के बाद सरकार और आरबीआई दोनों के ऊपर इसे सही तरह से जहां लागू करने का दबाव था, वहीं इस दबाव के कारण दोनों के बीच कम्युनिकेशन की कमी खुल कर सामने आ गई है. आरबीआई और सरकार के सूत्रों के मुताबिक, विभिन्न उपायों को सहजता से लागू करने में दोनों के बीच समन्वय की कमी है.

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नव भारत टाइम्स के अनुसार, आरबीआई से जुड़े सूत्रों का कहना है कि सर्कुलर में हो रहे बार-बार बदलाव से आरबीआई की छवि खराब हुई है, जो बदलाव अधिकांशतः केंद्र सरकार के निर्देश पर किया जा रहा है. वहीं सरकार में कुछ लोगों का मानना है कि आरबीआई किसी भी तरह के निर्देश पर बहुत धीरे प्रतिक्रिया दे रहा है.
आरबीआई के सूत्रों के अनुसार, केंद्रीय बैंक दो तरह के लोगों के बीच बंट गई है पहली वो जो संस्थान के साथ हो रहे व्यवहार से नाराज हैं और दूसरे वो जो वित्त मंत्रालय के आदेश को खुशी से स्वीकार कर रहे हैं.
आरबीआई सूत्रों का यह भी कहना है कि बैकों और बैंकिंग सिस्टम को डिपॉजिटर के टैक्स से जुड़ी चीजों को देखने के लिए बाध्य करना अनुचित है. यह सिर्फ आरबीआई का अकेले का काम नहीं है. हर बैकिंग ट्राजैक्शन में टैक्स से जुड़ी चीजों को जांचने से बैंक का काम प्रभावित होगा.

सूत्रों ने बताया कि केंद्रीय बैंक ने शादी वाले परिवार को 2.5 लाख रुपये की रकम देने की मंजूरी के नियमों को तैयार करने में तीन दिन का वक्त ले लिया. वहीं, जब आरबीआई इस नियम के साथ आया तो यह इतना कठोर था कि पैसा निकालना लगभग असंभव था. सरकार को इसमें कदम उठाना पड़ा और उसके बाद आरबीआई ने ढील दी.
झगड़े की एक अन्य वजह बैंक में वापस आए पुराने नोट भी थे. बैकों को डिपॉजिट किए गए नोटों के आंकड़े को लेकर आरबीआई और केंद्र के बीच मतभेद थे. पिछले सप्ताह आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास ने आरबीआई और बैकों से नोटों को दोबारा जांचने को कहा था.
आरबीआई सूत्रों का यह भी कहना है कि बैकों और बैंकिंग सिस्टम को डिपॉजिटर के टैक्स से जुड़ी चीजों को देखने के लिए बाध्य करना अनुचित है. यह सिर्फ आरबीआई का अकेले का काम नहीं है. हर बैकिंग ट्राजैक्शन में टैक्स से जुड़ी चीजों को जांचने से बैंक का काम प्रभावित होगा.