नोटबंदी जैसे बड़े मुद्दे पर बंगाल की मुख्यमंत्री ममता ने जिस मुखरता के साथ केंद्र की भाजपा सरकार पर जम कर हमला बोला था। हालत यह थी की वे दिल्ली तक नोटबंदी के ख़िलाफ़ अपनी आवाज़ बुलंद की थी। ममता को केंद्र सरकार के इस मुहिम का विरोध करना भारी पर गया है। सबका साथ सबका विकास का नारा देने वाली भाजपा और प्रधानमंत्री मोदी ममता को सबक़ सिखाने के लिए उनसे बदला लेने पर उतारू है। ताज़ा उदाहरण के तौर पर पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा आयोजित दो-दिवसीय बंगाल ग्लोबल बिजनेस समिट में अबकी केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली समेत केंद्र सरकार के मंत्री हिस्सा नहीं ले रहा है।
केंद्र सरकार के प्रमुख प्रतिनिधियों की अनुपस्थिति के अलावा जमीन अधिग्रहण के मुद्दे पर हाल में हुई हिंसा भी सम्मेलन पर असर डाल रही है। नोटबंदी के बाद केंद्र के साथ राज्य सरकार के संबंधों में बढ़ी खाई का असर निवेशकों पर होना तय है। हालांकि सम्मेलन का उद्घाटन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी कर रहे हैं।
इस सम्मेलन के आयोजन का यह तीसरा साल है। इससे पहले हुए दोनों सम्मेलनों में अरुण जेटली के अलावा कई केंद्रीय मंत्री न सिर्फ हिस्सा लेते रहे हैं बल्कि इसी मंच से करोड़ों की नई परियोजनाओं का भी एलान करते रहे हैं। बीते साल ऐसे सम्मेलन के बाद भी मुख्यमंत्री ने ढाई लाख करोड़ रुपए से अधिक के निवेश का प्रस्ताव मिलने का दावा किया था। जेटली के नहीं आने के पीछे दलील दी गई है कि वह बजट की तैयारियों में बेहद व्यस्त हैं, लेकिन असली वजह एक खुला रहस्य है।