आम आदमी पार्टी लीडर अरविंद केजरीवाल ने नरेंद्र मोदी को जो चैलेंज पेश किया है वो इस पार्टी के वसीअतर मंसूबे का हिस्सा है कि उत्तरप्रदेश और मुल्क भर में मुस्लिम वोटरों को राग़िब किया जा सके क्योंकी उसे मुख़ालिफ़ बी जे पी वोट हासिल होने की तवक़्क़ो है जो दीगर दूसरी सेकुलर पार्टियों के हिस्से में जाने वाले थे।
जब केजरीवाल ने बी जे पी के पी एम उम्मीदवार मोदी के मुक़ाबले का फैसला किया तो इसके साथ ही तमाम पार्टियों के दरमियान हमा रुख़ी लड़ाई छिड़ गई जिस से मुम्किना तौर पर आम आदमी पार्टी को फ़ायदा होने का इमकान है क्योंकी केजरीवाल को उसे वाहिद लीडर के तौर पर देखा जाएगा जो मोदी का बराह-ए-रास्त मुक़ाबला कररहे हैं।
आम आदमी पार्टी के ज़रीया ने कहा कि अगरचे बी जे पी को इसके हिस्से की नशिस्तें हासिल होजाएंगी लेकिन नाकामी समाजवादी पार्टी , बी एस पी और कांग्रेस के हिस्से में आएगी क्योंकी तमाम अक़िलियतें आम आदमी पार्टी को ही अपने काज़ के मुहाफ़िज़ के तौर पर देखेंगे । इस ज़रीया ने मज़ीद कहा कि हक़ीक़ी असर इन तमाम पार्टियों पर पड़ेगा जबकि आम आदमी पार्टी अक़िलियती वोटों पर इन्हिसार कररही है बिल्खुसूस मुज़फ़्फ़रनगर के फ़सादात यहां लोगों के ज़हनों में ताज़ा हैं।
मोदी के मुक़ाबले का फैसला करने में केजरीवाल का ये मंसूबा भी अयाँ नज़र आता है कि वो यूपी के अक़िलियती वोटों के एक बड़े हिस्से पर नज़र रखे हुए है। आम आदमी पार्टी एस पी , बी एस पी और कांग्रेस के ज़ेरे क़बज़ा नशिस्तों पर तवज्जे मर्कूज़ किए हुए है और उसे उम्मीद है कि मुख़ालिफ़ हुकूमत अंसर मर्कज़ी और रियासती हुकूमतों के मामले में इसके काम आएगा।
केजरीवाल मोदी को 2002 के गुजरात फ़सादात पर निशाना ना बनाते हुए सोंचे समझे मंसूबे के साथ आगे बढ़ रहे हैं क्योंकी ये काम तो दीगर पार्टियों की हिक्मत-ए-अमली का हिस्सा है जिसका मोदी पर तो कोई असर नहीं हुआ बल्कि उनके हरीफ़ों की चाल उलटी पड़ गई । केजरीवाल ने मोदी और बी जे पी को फ़िर्कापरस्ती के ताल्लुक़ से बिलवासता तौर पर निशाना बनाया है और ख़ुसूसियत के साथ गुजरात फ़सादात का कोई हवाला नहीं दिया।
वो मोदी को रिलाइंस गैस के मसले पर भी निशाना बनारहे हैं । मिसाल के तौर पर इस माह के अवाइल कानपूर में मुनाक़िदा रैली में अपनी तक़रीर में केजरीवाल ने फ़िर्कापरस्ती और फ़सादात का मसला छेड़ा और इल्ज़ाम आइद किया कि सियासी जमातों ने आम हालात को कशीदा बनाने और उनका सियासी फ़ायदा उठाने केलिए फ़सादात कराए हैं। उन्होंने कहा था कि फ़सादात के बाद मुसलमान एस पी की आग़ोश में आगए और कांग्रेस का हाथ थामने लगे हैं जब कि हिंदू बी जे पी के साथ होगए हैं। अक्सर-ओ-बेशतर फ़सादात इंतेख़ाबात से कुछ क़ब्ल होते हैं ।