चीफ़ मिनिस्टर दिल्ली केजरीवाल ने आज लेफ़टीनेंट गवर्नर नजीब जंग से मुलाक़ात की और जन लोक पाल बिल से बारे में मुख़्तलिफ़ मसाइल पर तबादला-ए-ख़्याल किया। ज़राए के मुताबिक केजरीवाल ने नजीब जंग को अपनी हुकूमत के नज़रियात से वाक़िफ़ करवाया जो दिल्ली असेंबली में जन लोक पाल बिल पेश करने के बारे में थे।
केजरीवाल ने कल रात धमकी दी थी कि अगर जन लोक पाल बिल रियासती असेंबली में मंज़ूर ना हुआ तो उन्हें उसकी मंज़ूरी के लिए दीगर सियासी पार्टियों की ताईद की भी ज़रूरत होगी,वो मुस्ताफ़ी होजाएंगे। इस बिल की कांग्रेस और बी जे पी दोनों की जानिब से मुख़ालिफ़त की जा रही है हालाँकि 7 हफ़्ता क़दीम हुकूमत कांग्रेस की ताईद की वजह से ही बरसर-ए-इक्तदार है।
कांग्रेस और बी जे पी दोनों का मौक़िफ़ ये है कि हुकूमत दिल्ली ने मर्कज़ी वजीर दाख़िला की मंज़ूरी की शर्त आइद की है और कहा है कि इस के बाद ही ये बिल दिल्ली असेंबली के इजलास में पेश किया जा सकता है जिस का शुरु 13 जनवरी से होगा । 70 रुक्नी दिल्ली असेंबली में आम आदमी पार्टी की तादाद स्पीकर 27 होगई है क्योंकि विनोद कुमार बिन्नी को पार्टी से ख़ारिज कर दिया गया है और कांग्रेस के सिर्फ़ 8 अरकान हैं जबकि बी जे पी के अरकान की तादाद 32 है।
लेफ़टीनेंट गवर्नर दिल्ली नजीब जंग ने मर्कज़ी वज़ारत क़ानून से मर्कज़ की पेशगी मंज़ूरी के बगै़र जन लोक पाल बिल असेंबली में पेश करने के बारे में दस्तूरी मौक़िफ़ दरयाफ्त किया है। लेफ़टीनेंट गवर्नर के दफ़्तर से जारी करदा एक बयान में कहा गया है कि इस मसला पर तनाज़आत से गुरेज़ किया जाये और मुकम्मल वज़ाहत हासिल की जाये।
नजीब जंग ने ये मसला क़तई राय के लिए मर्कज़ी वज़ारत क़ानून को रवाना कर दिया है। अरविन्द केजरीवाल का मौक़िफ़ ये है कि मर्कज़ से पेशगी इजाज़त हासिल करना ज़रूरी नहीं है जबकि कांग्रेस और बी जे पी का मौक़िफ़ वाज़िह तौर पर ये है कि 2002 के क़ानून के मुताबिक असेंबली में पेश करने से पहले मर्कज़ की इजाज़त ज़रूरी है। नजीब जंग ने केजरीवाल के मकतूब का गुजिश्ता जमा को ही जवाब देते हुए वाज़िह किया था कि ये सवाल सालीसीटर जनरल मोहन प्रसारण से ताल्लुक़ रखता है।