केजरीवाल सरकार का इम्तेहान आज

दिल्ली में हुकूमत बना कर नई तारीख़ रक़म करने वाली आम आदमी पार्टी की हुकूमत को आज दिल्ली असेंबली में एतिमाद का वोट हासिल करना है। कांग्रेस की तरफ़ से वाज़िह तौर पर हुकूमत को हिमायत देने के ऐलान के बाद से इसमें कोई शक नहीं रहा कि हुकूमत ऐवान में अपनी अक्सरीयत साबित कर देगी।

केजरीवाल ने बुध को भी दिल्ली असेंबली अहाते में कहा कि उनके पास वक़्त कम बचा है, लिहाज़ा उन की हुकूमत अवाम से जुड़े तमाम मसाइल पर जल्द अज़ जल्द फ़ैसला कर लेना चाहती है। अगर ऐवान के रियाज़ी की बात करें तो अकाली दल के साथ बी जे पी के 32 अरकाने असेंबली हैं। उधर आप के 28 रुक्न असेंबली हैं और कांग्रेस के 8 मेंबरान असेंबली हुकूमत की हिमायत कर रहे हैं। जनता दल यूनाईटिड के शुएब इक़बाल ने भी आप की हिमायत की है। इस तरह ऐवान में हुकूमत के हक़ में 37 ऐम एलए हैं, जबकि अक्सरीयत के लिए 36 अरकान की हिमायत चाहिए।

कांग्रेस के एक रुक्न असेंबली मतीन अहमद को प्रोटेम स्पीकर बना दिया गया है। इस के बावजूद हुकूमत के हक़ में 36 वोट पड़ने चाहिए। अगर ऐसा ही होता है तो हुकूमत को कोई ख़तरा नहीं है। लेकिन कांग्रेस के जयकिशन और दिनेश मोइनिया बुध को हलफ़ लेने ऐवान में नहीं पहुंचे। ज़ाहिरी तौर पर अगर वो जुमेरात को भी ऐवान में नहीं पहुंचे तो बैंच की तादाद कम होकर 34 रह जाएगी।

इधर अगर आज़ाद रुक्न असेंबली रामवीर शौक़ीन बी जे पी के पाले में वोट करते हैं तो अपोज़िशन के वोट 33 तक पहुंच जाऐंगे। ऐसे में अगर बैंच के दो और एम एह ए ऐवान के इजलास से ग़ायब हो जाते हैं तो हुकूमत ऐवान में हार सकती है। कांग्रेस के दिल्ली इंचार्ज डा. शकील अहमद ने बुध को ये बयान दिया कि कांग्रेस तो आप की हुकूमत को हिमायत देने को तैयार है, लेकिन हुक्मराँ जमात को अपने अरकाने असेंबली की फ़िक्र करनी चाहिए। मौजूदा सियासी माहौल में उनके इस बयान के संगीन सियासी मानी निकाले जा रहे हैं।