केरल के वायनाड से राहुल गांधी का चुनाव लड़ना एक बड़ी रणनीति का हिस्सा!

कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ रहे हैं। यह अमेठी से हार के डर की जगह कांग्रेस के बड़े प्लान का हिस्सा लगता है। दो सीटें छोड़कर वायनाड चुनने की वजह भी यही है। यहां 23 अप्रैल को मतदान होगा।

डी डब्ल्यू हिन्दी पर छपी खबर के अनुसार, कांग्रेस ने ऐलान किया है कि पार्टी अध्यक्ष राहुल गांधी अपनी परंपरागत सीट अमेठी के अलावा केरल की वायनाड सीट से भी चुनाव लड़ेंगे।

कुछ विश्लेषकों का कहना है कि राहुल को अमेठी सीट से हार का डर है इसलिए वे दो जगह से चुनाव लड़ रहे हैं। लेकिन वायनाड से राहुल का चुनाव लड़ना कांग्रेस की बड़ी रणनीति का हिस्सा लगता है।

साल 2018 से ही यह चर्चा शुरू हो गई थी कि राहुल दो सीटों से चुनाव लड़ेंगे और इनमें एक सीट दक्षिण भारत से होगी। दक्षिण भारत में ऐसी सीटों की तलाश शुरू की गई जो राहुल के लिए सुरक्षित हो और इसका प्रभाव भी ज्यादा हो। ऐसे में तीन सीटों को चुना गया था।

कर्नाटक की बेंगलुरू ग्रामीण, तमिलनाडु की कन्याकुमारी और केरल की वायनाड। बेंगलुरू ग्रामीण कांग्रेस के लिए सुरक्षित सीट है। 2009 में कर्नाटक के वर्तमान सीएम कुमारस्वामी यहां से जीते थे।

2013 के उपचुनाव और 2014 के लोकसभा चुनाव में कांग्रेस के डीके सुरेश यहां से जीते। लेकिन इस सीट की लोकेशन की वजह से इसका असर दूसरी सीटों पर नहीं होता क्योंकि यह कर्नाटक के एक ऐसे हिस्से में मौजूद है जिसके आसपास कोई और राज्य नहीं है।

कन्याकुमारी सीट 2014 में भाजपा के कब्जे में गई थी। लोकेशन में यह सुदूर दक्षिण में है। ऐसे में इसका असर भी आसपास ज्यादा नहीं होता। साथ ही तमिलनाडु में कांग्रेस की स्थिति मजबूत नहीं है। ऐसे में कांग्रेस को सहयोगी दल डीएमके पर निर्भर रहना पड़ता। इसलिए तीसरे विकल्प पर गौर किया गया।

वायनाड लोकसभा सीट केरल, तमिलनाडु और कर्नाटक के बॉर्डर पर है. ऐसे में कांग्रेस को उम्मीद है कि इसका असर तीनों राज्यों पर पड़ेगा। कांग्रेस ने 2014 की भाजपा की रणनीति को अपनाया है।

नरेंद्र मोदी ने वडोदरा की सेफ सीट और वाराणसी से चुनाव लड़ा. मोदी के वाराणसी से चुनाव लड़ने का असर इतना हुआ की पूर्वांचल में दूसरी पार्टियां साफ हो गईं। फूलपुर जैसी मुश्किल सीट पर भी भाजपा बड़े अंतर से जीती थी। यही सोच कांग्रेस लेकर चल रही है।