नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट ने केरल में शराब बैन को लेकर सरकार के फैसले को सही ठहराया है।दरअसल केरल सरकार ने एक पॉलिसी के तहत राज्य को अल्कोहल फ्री बनाने का फैसला लिया था क्यूंकि वहां के लोगों में शराबखोरी की आदतों की वजह लोगों की ज़िन्दगी पर काफी बुरा असर पड़ रहा है। पॉलिसी के तहत सरकार ने 10 साल के अंदर राज्य को एल्कोहल फ्री बनाने का जिम्मा उठाया था। सरकार के इस फैसले के खिलाफ बार मालिकों ने केरल हाईकोर्ट में अपील की थी जिसका फैसला सुनाते हुए केरल हाईकोर्ट ने सरकार के फैसले को सही ठहराया और कहा था कि शराब बेचना कहीं से भी फंडामेंटल राइट नहीं है। शराब पर पॉलिसी बनाना पूरी तरह से स्टेट गवर्नमेंट का काम है। हाईकोर्ट के इस फैसले के खिलाफ बार मालिक सुप्रीम कोर्ट में गए थे।
आपको बता दें कि ताड़ के फर्मेंटेशन से बननी वाली शराब को बैन से बाहर रखा गया है। क्यूंकि इस तरह से तैयार होने वाली शराब को केरल के कल्चर का हिस्सा है। पिछले साल अगस्त में बनी पॉलिसी के मुताबिक, राज्य में सिर्फ फाइव स्टार होटल में ही शराब परोसी जा सकती है। कोर्ट ने सिंगल बेंच के उस फैसले को भी रद्द कर दिया था जिसमें 4 स्टार बार होटलों में शराब परोसे जाने की बात की गई थी।एक सर्वे के मुताबिक केरल का एक आदमी आम तौर पर सालभर में करीब 8.3 लीटर शराब पी जाता है। यह नेशनल एवरेज से दोगुना है।बैन के पीछे केरल सरकार का मकसद एल्कोहल कंजम्प्शन को कम करना है।
हालाँकि शराब पर इस बैन के चलते सरकार को करीब 9 हजार करोड़ के रेवेन्यू के नुकसान होगा लेकिन कमाई की परवाह किये बिना सरकार अपने फैसले पर कायम है। केरल के इलावा गुजरात, नगालैंड, मणिपुर और लक्षद्वीप में शराब बैन है।