एक तरफ जहाँ देश को हिंदूवादी राष्ट्र बनाने में तब्दील करने के लिए आरएसएस एड़ी-चोटी तक का ज़ोर लगा रहा है
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वहीँ दूसरी तरफ अपने विरोधियों को हारने के लिए फूटी आँख न सुहाते मुस्लिम दलों के मदद मांग रहा है।
आरएसएस की इस हरकत से जहाँ उसके घिनोने चेहरे के बारे में हमें पता चलता है वहीँ इस बात का अंदाज़ा भी आसानी से लगाया जा सकता है कि देश के मुस्लिम संगठन कौम पर हुए ज़ुल्मों को कितनी जल्दी भूल कर दुश्मन को गले से लगा लेते हैं।
इस बात का सुबूत है दिल्ली में होने वाली एक सभा जिसमें आरएसएस और आईयूएमएल यानि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग एक साथ मिलकर केरल में सीपीएम की तरफ से फैलाए गए कथित आतंक के खिलाफ मोर्चा बनाएंगे। आरएसएस और आईयूएमएल का एकजुट होकर किसी और पार्टी के लिए लड़ना ज़्यादातर मुस्लिम संगठनों को अजीब लग रहा है और वैसे भी आरएसएस के बारे में तो सब जानते हैं कि अपने मतलब के लिए संघ कहाँ तक जा सकता है।