केसीआर का ( पुराना शहर )चारमीनार मुंतज़िर

हैदराबाद 11 अगस्त: चीफ़ मिनिस्टर गोलकोंडा में यौम-ए-आज़ादी तक़रीब ने गोलकोंडा तक पहुंचने वाली कई सड़कों को बेहतर बना दिया एक नज़र चारमीनार और पुराने शहर के दुसरे इलाक़ों पर भी डालीए ताकि शहर के इस इलाके का भी भला हो जाये। पिछ्ले हफ़्ते चीफ़ मिनिस्टर की तरफ से शहर के मुख़्तलिफ़ मुक़ामात के अचानक दौरे के एलान ने पुराने शहर के शहरीयों के दिलों में उम्मीद की किरण पैदा कर दी है और वो इस बात से पुर-उम्मीद हैं कि रियासत के हरकियाती चीफ़ मिनिस्टर के चन्द्रशेखर राव‌ शहर के मुसलसिल नजरअंदाज़ किए जानेवाले इस इलाके की तरफ मुतवज्जा होंगे क्युंकि इस इलाके के अवाम को रास्त चीफ़ मिनिस्टर से अपनी हाल सुनाने का मौक़ा कम ही मयस्सर आता है और कई चीफ़ मिनिस्टर्स ने तो इस इलाके के लिए कई हज़ार करोड़ के एलानात किए और बाज़ ने इस इलाके में तरक़्क़ीयाती प्रोजेक्टस के संग-ए-बुनियाद रखने पर इकतिफ़ा-ए-किया लेकिन पुराने शहर की तरक़्क़ी को पता नहीं किस की नज़र बद लगी हुई है कि इस इलाके में शुरू किए जानेवाले प्रोजेक्ट्स बरसहा बरस में मुकम्मिल नहीं होते।

रियासत के चीफ़ मिनिस्टर्स के एलानात से तो एसा लगता है कि वो शहर के इस इलाके की तरक़्क़ी के ख़ाहिशमंद होते हैं लेकिन अमली इक़दामात का जायज़ा लेने पर ये बात सामने आती है कि इन इलाक़ों के मुंख़बा नुमाइंदे अक्सर इन इलाक़ों की तरक़्क़ी के मुताल्लिक़ ग़ैर संजीदगी का मुज़ाहरा करते रहे हैं जिसके नतीजे में कई प्रोजेक्टस जूं के तूं रहे या फिर एलानात की हद तक महदूद रहे।

रियासत आंध्र प्रदेश के चीफ़ मिनिस्टर की हैसियत से पुराने शहर का अचानक दौरा करने वाले चीफ़ मिनिस्टर मिस्टर एन चंद्रबाबू नायडू ने मक्का मस्जिद के अक़ब में वाक़्ये मुहाजिरीन कैंप की जगह हमा मंज़िला इमारतों की तामीर के मन्सूबे का एलान करते हुए मयारी रिहायश गाहों की फ़राहमी का मन्सूबा पेश किया था लेकिन उनका ये मन्सूबा आज तक काबिले अमल नहीं हो सका। इसी तरह वाई एस राजशेखर रेड्डी ने अपने दौरे हुकूमत में पुराने शहर का दौरा करते हुए जे एन एन यू आर याम के अलावा दुसरे कई स्कीमात के ज़रीये सिर्फ पुराने शहर में 2000 करोड़ के ख़ुसूसी पैकेज का एलान किया था लेकिन इन 2000 करोड़ के तरक़्क़ीयाती कामों के मुताल्लिक़ ना हुकूमत से कोई इस्तिफ़सार करता है और ना ही मुंख़बा नुमाइंदे इन कामों की तफ़सीलात पेश करने के मौकुफ़ में नज़र आते हैं।

पुराने शहर के कई इलाक़ों में कई एक मसाइल हैं जिनमें सबसे अहम मसला सरकारी दवाख़ानों और स्कूलों का है इसी तरह पुराने शहर के बेशतर मुक़ामात पर बलदी मसाइल के साथ साथ बर्क़ी-ओ-आबरसानी के मसाइल पाए जाते हैं जिन्हें हल किया जाना ज़रूरी है।

चन्द्र शेखर राव‌ पुराने शहर के अवाम से रास्त नुमाइंदगीयाँ वसूल करते हैं और उनसे बातचीत करते हैं तो उन्हें इस बात का एहसास होगा कि पुराने शहर के अवाम किन हालात में ज़िंदगी गुज़ार रहे हैं लेकिन अवाम को इस बात का भी एहसास है कि बरसर-ए-इक़तिदार तबक़ा की इन तक रसाई में कौन हाइल हैं और क्युं वो बरसर-ए-इक्तदार तबक़ा को अवाम के बीच पहुंचने से रोकते हैं।

मौजूदा चीफ़ मिनिस्टर की उर्दू ज़बान से वाक़फ़ीयत उनके पुराने शहर के अवाम के बीच पहुंचने में कारा॓मद साबित हो सकती है लेकिन इस के सियासी फ़वाइद भी उन्हें हासिल होंगे इस बात को देखते हुए ना सिर्फ चीफ़ मिनिस्टर बल्के दुसरे रियासती वुज़रा की सरगर्मीयों को भी पुराने शहर से दूर रखने की कोशिश की जा रही है जिसका सरा नुक़्सान अवाम को हो रहा है।