हैदराबाद 11 मई: महिकमा फार्मास्यूटिकलस के सेक्रेटरी वी के बसव राजू ने कहा कि मर्ज़ कैंसर की तशख़ीस के लिए मुनासिब मेकानिज़म की अदम दस्तयाबी और ईलाज के लिए ज़रूरी तिब्बी सहूलतों के फ़ुक़दान के सबब मुल्क में कैंसर से सालाना पाँच लाख लोग फ़ौत होते हैं।
एससीआईआर इंडियन इंस्टीटियूट आफ़ केमिकल टेक्नोलोजी में लेक्चर देते हुए सुबू राजू ने कहा कि मुल्क में नफ़सियाती अमराज़ के ईलाज के लिए दरकार एक करोड़ बिस्तरों के बजाये सिर्फ 20,000 बिस्तर हैं। उन्हों ने कहा कि मुल्क में हर साल कैंसर के एक लाख मरीज़ों की शनाख़्त की जाती है। उनकी आधी तादाद ईलाज-ओ-तशख़ीस से पहले ही फ़ौत होजाती है।
सुबू राजू ने कहा कि अमरज़-ए-क़लब से हर साल तक़रीबन 25 लाख लोग मुतास्सिर होते हैं। लेकिन मौजूदा दस्तयाब इंफ्रास्ट्रक्चर से सिर्फ 2.5 लाख मरीज़ों को तिब्बी इमदाद, ईलाज-ओ-मुआलिजा फ़राहम की जा सकती है। सुबू राजू ने कहा कि मुल्क के तक़रीबन 80 फ़ीसद ज़िला हैड क्वार्टर्स पर माहिर-ए-नफ़सीयत नहीं हैं और मुल्क में फ़िलहाल 20 लाख डाक्टरों की क़िल्लत है।