कैदियों के रहन सहन ने मेरी ज़िंदगी बदल दी

अलाबामा, 28 मई: ( एजेंसी) अमरीका ने मुसलमानों पर ज़ुल्म-ओ-इस्तिबदाद की एक नई तारीख रक़म करने के मक़सद से ग्वांतानामोबे जेल क़ायम की है लेकिन यहां के कैदियों की गुज़र बसर , मुश्किल हालात में भी उन के सब्र और मज़ालिम की इंतेहा के बावजूद चेहरों पर अजीब सी मुस्कुराहट ने एक अमेरीकी फ़ौजी की ज़िंदगी बदल दी और आज वो मुसलमान होने पर फ़ख़र महसूस कर रहा है ।

टेरी होल्ड ब्रूक्स 29 साला ने 2003 से लेकर 2004 तक क्यूबा में वाकेए इस बदनाम-ए-ज़माना Guantanamo जेल में कैदियों की हिफ़ाज़त की ज़िम्मेदारी निभाई । इस ने 25 मई को हिऩ्ट्स विले इस्लामिक सेंटर में तकरीबन 80 शुरका को वहां के हालात और कुबूल ए इस्लाम के बारे में तफ़सीलात से वाक़िफ़ कराया ।

टेरी होल्ड ब्रूक्स ने बताया कि इस वक़्त Guantanamo के हालात इंतिहाई अबतर हैं और यहां अमेरीका इंसानी हुक़ूक़ की तमाम ख़िलाफ़वरज़ीयों का मुर्तक़िब हो रहा है। इस जेल के 166 के मिनजुमला 102 कैदी भूख हड़ताल कर रहे हैं और 100 दिन गुज़रने के बावजूद अब तक हुक्काम ने उनकी शिकायत को सुनना तक गवारा नहीं किया।

इन में ऐसे कई कैदी हैं जिन्हें 5 या 6 साल पहले ही बरी कर दिया गया यह फिर उन्हें वापस जाने की इजाज़त दे दी गई। लेकिन मुताल्लिक़ा ममालिक में उनके वुकला ये कहते हैं कि अमेरीका ने उन्हें अब तक रिहा नहीं किया और अमेरीका ये कहता है कि मुताल्लिक़ा ममालिक उन्हें वापस तलब नहीं कर रहे हैं।

होल्ड ब्रूक्स ने बताया कि इन क़ैदीयों को रिहाई की कोई उम्मीद नज़र नहीं आती। अब हालात इस क़दर अबतर हो चुके हैं कि एक कैदी का वज़न घट कर सिर्फ़ 70 पाउंड रह गया। होल्ड ब्रूक्स ने बताया कि उस की ड्यूटी में ये शामिल था कि कैदियों को एक सेल से दूसरे सेल मुंतक़िल किया जाये और हर दो घंटे के वक़फ़ा से उन्हें अज़ियत पहुंचाने के लिए ये काम किया जाता रहता था लेकिन इन कैदियों के सब्र ‍ ओ‍ इस्तेक़लाल ने इसे बेहद मुतास्सिर किया और आख़िर इस ने ये जानने की कोशिश की कि इन में ऐसी किया ख़ुसूसियत है जो मुश्किल हालात का सामना करने का हौसला फ़राहम करती है।

इस ने फिर रात के औक़ात में बाअज़ कैदियों से बात चीत का सिलसिला शुरू किया। इस ने देखा कि इन कैदियों का ख़ुदाए तआला पर कामिल एतेमाद है और उन्हें ये यक़ीन है कि अल्लाह तआला ही उनकी हिफ़ाज़त फ़रमाने वाला है। होल्ड ब्रूक्स ने देखा कि ये कैदी क़ुरआन मजीद का हर वक्त मुताआला करते रहते हैं। चुनांचे इस में ये किताब पढ़ने का शौक़ पैदा हुआ।

एक कैदी ने उसे बताया कि अल्लाह तआला ने जेल में मौक़ा फ़राहम किया है कि क़ुरआन मजीद को ब ग़ौर पढ़ा और समझा जाये वर्ना वो अपनी रोज़मर्रा ज़िंदगी में इस क़दर मसरूफ़ था कि इस किताब को पढ़ने का मौक़ा भी ना मिलता और इसके लिए कैदी ने अल्लाह तआला का शुक्र बजा लाया।

होल्ड ब्रूक्स के लिए ये इंतिहाई हैरत अंगेज़ मुआमला था। इस ने रात के वक़्त उन कैदियों की आपस की बातें भी सुनी और उसे ये जान कर हैरत हुई कि हमेशा अख़लाक़ीयात , फ़लसफ़ा , तारीख और मज़हब पर ही गुफ़्त-ओ-शनीद हो रही है। इस ने इन कैदियों की ज़बानी यहां तक भी सुना कि 9/11 को वो इस्लामी तालीमात के मुनाफ़ी क़रार दे रहे थे।

होल्ड ब्रूक्स का इस्लाम के बारे में मालूमात हासिल करने का जज़बा और भी बढ़ गया। चुनांचे इस ने इस्लाम के बारे में आन लाईन मालूमात हासिल करना शुरू किया । इस के बाद एक कैदी ने जो इंग्लैंड का साबिक़ शेफ था उसे क़ुरआन मजीद का नुस्ख़ा फ़राहम किया।

होल्ड ब्रूक्स ने कहा कि जब इस ने ईसाईयत , बौद्व मत और यहूदी के बारे में किताबें पढ़ें और जब इस ने क़ुरआन मजीद का मुताआला किया तो इस का ज़हन खुल गया और इस ने ये महसूस किया कि ये हक़ीक़त में ऐसी मज़हबी किताब है जिसकी तालीमात इंसानी ज़िंदगी से ऐन मुताबिक़त रखती हैं।

ये कोई जादूई असर दिखाने वाली किताब नहीं बल्कि इंसानों को एक बेहतर ज़िंदगी गुज़ारने की तालीमात फ़राहम करने वाली किताब है। चुनांचे 3 माह तक इस किताब के मुताआला और इस्लाम के बारे में मालूमात हासिल करने के बाद एक रात होल्ड ब्रूक्स ने Guantanamo के कैदी से कहा कि वो मुसलमान होना चाहता है।

इस ने बताया कि इन कैदियों के रहन सहन ने उसकी ज़िंदगी बदल डाली। हालाँकि इस्लाम कुबूल करने से पहले इस के पास हर चीज़ मुहय्या थी । इस ने देखा कि इस्लाम कुबूल करने के बाद अब वो सद फ़ीसद मुतमईन है और इस्लाम की हक़्क़ानियत ( हकीकतें) इस पर वाज़िह हो चुकी है। टेरी होल्ड ब्रूक्स अब मुस्तफ़ा अबदुल्लाह के नाम से जाने जाते हैं।