कैद में रखे गए करीब दस लाख चीनी मुस्लिमों की हालत बेहद खराब- अमेरिका

चीन में मुसलमानों को आजादी नहीं है। चीन में रह रहे मुसलमानों की हालत बहुत ही खराब है। अमेरिका का कहना है कि चीन में करीब 10 लाख मुस्लिम अल्पसंख्यकों को शिनजियांग प्रांत में पुनर्शिक्षा शिविरों में रखा गया है जिनकी स्थिति बहुत ही खराब है साथ ही उसने चीन से हिरासत में रखे गए लोगों को तत्काल रिहा किए जाने की मांग की है।

विदेश मंत्रालय के उप प्रवक्ता रॉबर्ट पालाडिनो का कहना है कि ‘चीनी सरकार ने करीब 10 लाख उयगुर, कजाक और मुस्लिम अल्पसंख्यक समुदाय के अन्य सदस्यों को शिनजियांग में पुनर्शिक्षा शिविरों में हिरासत में रखा है जिनकी स्थिति को लेकर अमेरिका काफी चिंतित है। साथ ही अमेरिका के का कहना है कि चीन में ईसाई, तिब्बती और मुसलमानों को दबाया जाता है।

हालांकि चीन ने अमेरिका के इस दावे को सिरे से खारिज कर दिया है। चीन ने इसपर प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि अमेरिका आंतरिक मामलों में दखल न दे। चीन में धार्मिक आधार पर दमन का मुद्दा तब उछला जब अमेरिका के विदेश मंत्री माइक पोंपियो ने चीन के समकक्ष से बात की।

माइक पोंपियो का कहना है कि ‘दुनियाभर के लोग हमारी इस चिंता का समर्थन कर रहे हैं कि चीन में ईसाइयों, बौद्धों और लाखों मुसलमानों को स्वतंत्रता नहीं है।’ चीन के विदेश मंत्री यांग जेइची ने इससे इनकार किया है। उन्होंने कहा, ‘चीन मानवाधिकारों का सम्मान करता है।

राष्ट्रपति शी जिनफिंग हमेशा मानवाधिकारों के लेकर सजग रहते हैं।’ उन्होंने कहा कि चीन के लोग धर्म को मानने या न मानने के लिए स्वतंत्र हैं। वे सभी चीन के नागरिक हैं।

यांग ने कहा, ‘हमारे यहां मानवाधिकारों का पूरा सम्मान होता है और सुरक्षा की जाती है। चीन और आमेरिका को आपस में संचार बढ़ाना चाहिए और आपस में सहयोग की भावना से काम करना चाहिए।’

माइक पोंपियो ने चीन की प्रतिक्रिया पर जवाब देते हुए कहा कि जब तिब्बतियों और मुस्लिमों के दमन की बात आती है तो चीन असहज हो जाता है जबकि यह बात सभी देशों के लिए है और उनमें चीन भी शामिल है।

पोंपियो ने कहा, ‘हमने इस विषय पर बात की है कि अपने देश के लोगों को सम्मान दिया जाए जब धार्मिक रूप से अल्पसंख्यकों की बात आए तो चीन इस मामले में भी ध्यान दे।’

यांग ने कहा कि यह मामला चीन के अंदर का है और इसमें किसी और देश का दखल नहीं होना चाहिए। यांग ने कहा कि अमेरिका को तथ्यों का सम्मान करना चाहिए और चीन के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप नहीं करना चाहिए।

साभार- ‘न्यूज़ 24’