खबर के मुताबिक राजीव प्रताप रूड़ी के प्रदर्शन से प्रधानमंत्री नाराज चल रहे थे. इस बात की जानकारी उन्हें दे दी गयी थी. प्रधानमंत्री ने उन्हें स्किल डेवलेपमेंट मिनिस्ट्री सौंपा था.
नरेंद्र मोदी चुनाव से पहले ही स्किल डेवलेपमेंट को अपनी प्राथमिकता बता चुके हैं. स्किल डेवलेपमेंट के काम में तेजी लाने के लिए सरकार ने एक अलग से मंत्रालय बनाया और उसकी कमान रूडी को सौंपा. कौशल विकास में उनका काम जमीन पर नहीं दिख रहा था.
तमिलनाडु से आने वाली निर्मला सीतारमन मौजूदा सरकार में वाणिज्य और उद्योग मंत्रालय संभाल रही थी. पिछली बार कैबिनेट फेरबदल के दौरान भी उन्हें हटाने की खबर आ रही थी. निर्मला सीतारमन भी राजीव प्रताप रूडी की तरह पार्टी की प्रवक्ता थीं. वाणिज्य और उद्योग दोनों अहम विभाग इनके पास था. जिसका सीधा संबंध रोजगार और अर्थव्यवस्था से है. अब इस अहम पोर्टफोलियों में निर्मला सीतारमन की जगह किन्हें लाया जाता है. इसकी घोषणा जल्द होगी.
वरिष्ठता व पार्टी में लंबे समय तक जुड़ाव की वजह से उमा भारती को जल संसाधन व गंगा सफाई का मंत्रालय दिया गया था लेकिन तीन साल बीत जाने के बाद उनके पास अपने कामकाज को लेकर दिखाने को कुछ खास नहीं है. कल उन्होंने स्वास्थ्य कारणों का हवाला देकर प्रधानमंत्री को इस्तीफे की पेशकश की.
कांग्रेस से भाजपा में आये चौधरी वीरेंद्र सिंह पहले केंद्र में पहले ग्रामीण विकास मंत्रालय को संभाला लेकिन यहां भी वह कोई छाप छोड़ नहीं पाये.फिर उन्हें स्टील मंत्रालय दिया गया लेकिन अपने काम के प्रति अरूचि को देखते हुए. सरकार ने उन्हें हटाने का फैसला लिया.
केंद्र में गिरिराज सिंह को सुक्ष्म एवं लघु उद्योग मंत्री है. बिहार चुनाव से ठीक पहले कैबिनेट में शामिल हुए गिरिराज सिंह अकसर अपने बयानों को लेकर विवादों में आ जाते हैं. अंदरखाने से आ रही खबर के मुताबिक कई नेताओं की राय है. प्रधानमंत्री उनके कामकाज से खुश नहीं है. वहीं कई लोगों का तर्क है कि गिरिराज सिंह को कैबिनेट में शामिल जातीय समीकरण को साधने के लिए किया गया था. उनसे कोई बहुत ज्यादा उम्मीद भी नहीं की गयी थी.
केंद्रीय कृषि राज्य मंत्री संजीव बालियान भी अपने बयानों से पार्टी के लिए मुश्किलें खड़ी कर देते हैं. देश में जब कृषि संकट चल रहा हो ऐसे वक्त में सरकार किसी तरह का जोखिम मोल नहीं लेना चाहती है. उनके जगह किसे तैनात किया जाता है. यह आने वाले दिनों में स्पष्ट हो जायेगा.