राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग की रिपोर्ट ने राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग की उस विवादास्पद रिपोर्ट को ख़ारिज किया जिसमें मुसलमानों को कैराना से हिन्दुओं के पलायन के लिए जिम्मेदार ठहराया गया था | रिपोर्ट ने दावा किया कि जिन परिवारों ने कैराना से पलायन किया है उनकी मुख्य वजह रोजगार और जीवन के बेहतर अवसरों की तलाश थी जो बेहद सामान्य घटनाक्रम है |
एनसीएम टीम ने हाल ही में 2013 के सांप्रदायिक हिंसा पीड़ितों की स्थिति का आकलन करने के लिए उत्तर प्रदेश में मुजफ्फरनगर और शामली जिलों का दौरा किया | इस दौरे के दौरान टीम ने जिला प्रशासन और विभिन्न समुदाय के प्रतिनिधियों के साथ बैठकें भी की ।
यात्रा के दौरान टीम ने स्थानीय लोगों और शीर्ष सरकारी अधिकारीयों से मुलाक़ात की | इसके अलावा टीम मुज़फ्फरनगर, शामली, कैराना और उन अन्य क्षेत्रों का दौरा किया जहाँ पर दंगे से बच कर भागे लोगों ने आश्रय लिया था |
कैराना से हिन्दुओं के पलायन का मुद्दा टीम के कैराना दौरे के दौरान उठाया गया | इस कथित पलायन के मुद्दे को भाजपा अगामी विधानसभा चुनाव में भुनाने की कोशिश कर रही है |
कथित पलायन के मुद्दे को सबसे पहले भाजपा सांसद हुकुम सिंह ने उठाया था | उसके बाद से अमित शाह समेत भाजपा के शीर्ष नेता इस मुद्दे को बारबार उठाते रहे हैं |
उस वक़्त, हुकुम सिंह ने कैराना को “नया कश्मीर” कहा था | सिंह ने आरोप लगाया था कि अल्पसंख्यकों द्वारा इलाके को निशाना बनाने के बाद 250 परिवार कैराना से पलायन कर गए हैं |
एनसीएम रिपोर्ट में कहा गया: “वहाँ किसी भी बड़े पैमाने पर पलायन के कोई सबूत नहीं मिले है और हम इस बात को लेकर आश्वस्त हैं कि वहाँ स्थानीय मुस्लिम और हिंदू समुदायों के बीच कोई असामान्य तनाव नहीं हैं | हमें बताया गया कि कैराना शहर हमेशा से एक मुस्लिम बहुल आबादी वाला शहर रहा है । 2013 में सांप्रदायिक हिंसा के बाद यहाँ लगभग 280 मुस्लिम परिवार आकर बसे हैं लेकिन इसका शहर की जनसांख्यिकी में कोई असामान्य असर नहीं पड़ेगा ।”
Catch से बातचीत में प्रवीण डावर, जो एनसीएम टीम का हिस्सा थे, उन्होंने बताया कि 2011 की जनगणना में कैराना शहर की कुल आबादी 89,000 थी जिसमें 71,683 मुसलमान और 16,320 हिन्दु थे ।
“वहाँ जनसांख्यिकीय में ऐसा कोई परिवर्तन नहीं है जिसका ज़िक्र राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने किया था । शहर हमेशा मुख्य रूप से मुस्लिम बहुल था और 280 परिवारों एक शहर की जनसांख्यिकी में कोई ख़ास परिवर्तन नहीं करते हैं,” उन्होंने कहा।
इस रिपोर्ट के आने से पहले राष्ट्रिय मानवाधिकार आयोग ने उत्तर प्रदेश में कैराना से 250 हिंदू परिवारों के पलायन पर उत्तर प्रदेश सरकार और पुलिस के निष्कर्षों को अपने पूरे पैनल के सामने रखने का फैसला किया था |