कैराना से पलायन सांप्रदायिक नहीं, बल्कि बेहतर रोजगार की तलाश है: अल्पसंख्यक आयोग

शामली: उत्तलर प्रदेश के शामली जिले के कैराना में हिंदुओं के पलायन के आरोप के दावों पर 17 अक्टूबबर को राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग की रिपोर्ट की आलोचना करते हुए कहा कि लोगों ने अपने कारोबार की वजह से शहर छोड़ा है. उन्होंने कहा कि हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों ने अन्य स्थानों में बेहतर कारोबारी मौके पाने के लिए कैराना छोड़ा। लोगों ने किसी खास समुदाय के डर से यह पलायन नहीं किया। मानवाधिकार आयोग की जांच टीम का कहना था कि ‘‘बढ़ते अपराध’’ और ‘बिगड़ती’ कानून एवं व्यवस्था के चलते कैराना से कई परिवारों ने पलायन किया।

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जनसत्ता के अनुसार, राष्ट्री य मानवाधिकार आयोग ने हिंदुओं के पलायन के आरोप पर अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। मगर यहां के निवासियों से बात करने पर तस्वीर ईद उलट सामने आई है. दंगों से प्रभावित करीब 29,300 लोग मुजफ्फरनगर और शामली में फैली 65 ‘कालोनियों में रह रहे हैं। इनमें से 90 फीसदी नजदीकी कस्बेो से 15-20 किलोमीटर दूर बसे हैं, जहां एनएचआरसी रिपोर्ट कहती है कि हिंदू लड़कियों को छेड़ा गया था।
द इंडियन एक्सदप्रेस ने कैराना के ऐसे करीब 20 कैंपों का दौरा किया। ज्या9दातर मुस्लिम बेहद गरीब हैं, वे घर-बार छोड़कर यहां किसी तरह बसर कर रहे हैं। मूल रूप से मुजफ्फरनगर के फुगना गांव के निवासी, हसनपुर कॉलोनी के राहत कैंप में रह रहे 60 साल के सुलेमान आयोग की रिपोर्ट पर हैरानी जताते हैं, वह कहत हैं कि वे बहुत कम ही कैराना कस्बेत में जाते हैं। उन्होंोने कहा, ”मेरे तीन बच्चेग दिनभर पत्थार तोड़ते हैं, तब कहीं जाकर हमें एक वक्तै की रोटी नसीब होती है। कैंप में कोई परिवार इस ईद पर कुर्बानी नहीं दे सका, न ही हमारे पास सेवइयों के लिए पैसा है। हम अपनी समस्या में इतने परेशान हैं, लड़कियां क्याा छेडेंगे, वो भी 20 किलोमीटर जाकर कैराना में? जितना पैसा वहां जाने में खर्च होगा, उतने में हम 10 रोटी बना सकते हैं।”
कांधला की एक मस्जिद के मौलाना मोहम्म?द मुस्तसकीम कहते हैं कि हर हफ्ते यहां चोरी-डकैती होती हैं। उन्होंनने कहा कि ”कैंपों में बिजली नहीं है, इसलिए वह आसान निशाना बनते हैं।” 2013 के बाद मुजफ्फरनगर से मुस्लिम समुदाय के लगभग 25,000-30,000 सदस्यों को कैराना शहर में बसाने की वजह से कैराना का जनसांख्यिकी बदलकर मुस्लिम समुदाय के पक्ष में चला गया। । संस्थाउ ने बताया कि 2011 जनसंख्याक के अनुसार, कैराना की जनसंख्या 89,000 से ज्यादा थी, जिनमें 80 फीसदी से ज्याोदा मुस्लिम थे। कांधला में करीब 70 फीसदी मुस्लिम थे।
कैराना में पहले से मुस्लिमों की बहुलता होने पर जोर देते हुए कांधला नगर पालिका चेयरमैन और सपा नेता वाजिद हुसैन कहते हैं, ”2,000 दंगा पीड़ितों के आ जाने से वे (मुस्लिम) और हावी नहीं हो जाते।” उन्होंहने कहा, ”गिरती कानून-व्यदवस्थाक की वजह से लोग गए होंगे, अगर ऐसा है तो राज्यह सरकार को कार्रवाई करनी चाहिए। एनएचआरसी प्रवक्ताह जैमिनी श्रीवास्तैव ने कहा कि आयोग ने अपनी रिपोर्ट पहले ही सौंप दी है और फिलहाल कुछ कहने को नहीं है।