24 दिसंबर को पुणे की यरवडा जेल से छुट्टी पर बाहर आए संजय दत्त जब 25 दिसंबर को फिल्म पीके देख रहे थे तब उन्हें इसका अंदाजा नहीं था कि उनकी छुट्टी पर एक बार फिर सवाल उठाए जाएंगे. जानी-मानी समाज़ी कारकुन और वकील आभा सिंह ने सवाल उठाए हैं कि आखिर संजय को फर्लो पर बार-बार कैसे छुट्टी मिल जाती है, जबकि जरूरतमंद कैदियों को फर्लो के तहत बाहर आने की छुट्टी नहीं मिलती.
फर्लो एक तरह की छुट्टी होती है जो जेल इंतेज़ामिया कैदी को जेल में काम करने के एवज में देता है. पिछले साल भी संजय दत्त को फर्लो पर छु्ट्टी दी गई थी. उस वक्त बीजेपी और शिवसेना की ओर से संजय दत्त को मिली छुट्टी का एहतिजाज किया गया था. जिन लोगों ने संजय दत्त की छुट्टी का गुजश्ता साल एहतिजाज किया था वो आज इक्तेदार में है. अब उनसे सवाल किया जा रहा है कि उन्होंने संजय को किस बुनियाद पर छुट्टी दी है.
मामले को बढ़ता देख महाराष्ट्र के वज़ीर ए दाखिला ने एलान किया है कि रियासत की हुकूमत इस बात की जांच कराएगी कि अदाकार को इतनी जल्दी और इतनी आसानी से फर्लो कैसे मिल जाता है. इल्ज़ाम है कि असेम्बली का विंटर सेशन जैसे ही बुध के रोज़ खत्म हुआ, दत्त की फर्लो की छुट्टी फौरन मंजूर कर दी गई. इसके बाद वे जुमेरात के रोज़ बांद्रा वाके अपने घर पहुंच गए. इसे लेकर बीजेपी-शिवसेना हुकूमत के महकमा दाखिला के कामकाज में अचानक आई तेजी को लेकर सवाल उठने लगे.
रियासत की हुकूमत भले जांच कराए लेकिन मुन्ना भाई अपनी छुट्टी को यूं बेकार नहीं जाने देना चाहते. क्रिसमस के मौके पर आमिर खान की तरफ से मुन्ना भाई को फिल्म पीके दिखाने का खास इंतेज़ाम किया गया था संजय दत्त, अपनी बीवी मान्यता और जुड़वां बच्चों के साथ फ़िल्म देखने आए…पीके की इस स्पेशल स्क्रीनिंग में फ़िल्म के प्रोड्यूसर विधु विनोद चोपड़ा और संजय दत्त ने खानदान में बीमारी का हवाला देकर पिछले साल अपनी छुट्टी भी बढ़वाई थी.