नई दिल्ली
विज़ारत-ए-दिफ़ा के अमले का एक रुकन जिसे मुबय्यना तौर पर कॉरपोरेट तनाज़ा मुक़द्दमे में गिरफ़्तार किया गया था। आज 5 मार्च तक उसे दिल्ली की एक अदालत ने अदालती तहवील में देदिया। चीफ़ मेट्रो पोलीटन मजिस्ट्रेट संजय खंगवाल ने विज़ारत-ए-दिफ़ा के हा कीपिंग अमला के रुकन वीरेंद्र कुमार को 8 दिन की अदालती तहवील में दिया जबकि दिल्ली पुलिस की क्राईम ब्रांच ने कहा कि उसे हिरासत में रख कर तफ़तीश करने की ज़रूरत नहीं है।
कुमार को 23 फ़रवरी को गिरफ़्तार किया गया था और उसे अदालत में एक दिन केलिए पुलिस तहवील में दिया था ताकि पुलिस मुक़द्दमे में इस के मुबय्यना किरदार को समझ सके। शोबा जराइम के ओहदेदारों ने क़ब्लअज़ीं अदालत से कहा था कि कुमार को मुबय्यना तौर पर हिन्दुस्तानी दिफ़ाई अकाउंट्स ख़िदमत के एक ऐडिटर का शनाख़ती कार्ड चोरी करने के इल्ज़ाम में गिरफ़्तार किया गया था।
इस में यही कार्ड एक मुल्ज़िम ललीता प्रसाद को फ़राहम किया था। उन्होंने कहा था कि कुमार ने शनाख़ती कार्ड का सरका किए बाद में इस में उलट फेर करके उसे प्रसाद के हवाले कर दिया जिसे इस ने मुख़्तलिफ़ विज़ारतों में दाख़िला हासिल करने केलिए इस्तेमाल किया। अदालत ने कल इसे 5 मार्च तक अदालती तहवील में दे दिया।
5 कॉरपोरेट ओहदेदारों शैलेश सक्सेना, विनए कुमार, के के नायक, सुभाष चन्द्र और ऋषि आनंद को पुलिस तहवील केलिए अदालत में पेश किया गया था जबकि शोबा जराइम के ओहदेदारों ने कहा कि उनकी तहवील की ज़रूरत नहीं है। अदालत ने पुलिस से दरयाफ़त किया कि क्या पांचों मुल्ज़िमों के पास से कोई नई चीज़ ज़ब्त की गई है।
इस पर तहक़ीक़ाती ओहदेदार ने नफ़ी में जवाब दिया। पुलिस ने इल्ज़ाम आइद किया कि जो कुछ भी उन के पास से ज़ब्त किया गया था इस से ज़ाहिर होता है कि क़ौमी सलामती को उनसे ख़तरा था।