नई दिल्ली : तिब्बत के धार्मिक नेता दलाई लामा ने मणिपुर में अपने तीन दिवसीय दौरे के दूसरे दिन कहा कि लोग जब आंतकवादी बनते हैं तो उनकी मुस्लिम, ईसाई या अन्य पहचान खत्म हो जाती है. इसलिए कोई भी मुस्लिम या ईसाई आतंकवादी नहीं होता. उन्होंने कहा नोबल पुरस्कार विजेता लामा ने कहा कि हिंसा किसी भी समस्या का समाधान नहीं है.
दलाई लामा के अनुसार, हमारी जितनी भी समस्या है, वह हमने खुद पैदा की हैं. हमें भावनाओं पर काबू रखना सीखना होगा. उन्होंने कहा कि दुनिया की समस्याओं को बातचीत के द्वारा सुलझाया जा सकता है. भारत अपने प्राचीन ज्ञान और शिक्षा से दुनिया में शांति स्थापना सुनिश्चित कर सकता है.
उन्हें अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नारा ‘अमेरिका फर्स्ट’ भी पसंद नहीं है.चीन में भी अगर उसकी साम्यवादी विचारधारा को छोड़ दें तो संभावनाएं हैं. उन्होंने कहा कि अमीर और गरीब के बीच खाई नैतिक रूप से गलत है और यह खाई भारत और मणिपुर में भी दिखाई देती है. अपने भाषण में दलाई लामा ने याद करते हुए बताया कि कैसे वह 58 साल पहले एक शरणार्थी के रूप में भारत आए थे. बता दें कि भारत में लगभग एक लाख तिब्बती रहते हैं. 58 वर्ष पहले एक शरणार्थी के रूप में दलाई लामा भारत आए थे. अपने भाषण के दौरान दलाई लामा ने याद करते हुए ये बातेंं तफसील याके बताया।