कोई मानेगा नहीं

-सत पाल-

देश की राजधानी दिल्ली में लगातार बढ़ रहे प्रदूषण के स्तर पर लगाम लगाने को लेकर सभी पर्यावरणविद चिंतित हैं। सचमुच यह गंभीर चिंता का सबब है। पर्यावरणविदों का मानना है कि अभी सर्दी ने अपना सही असर नहीं दिखाया और प्रदूषण दमघोटू बनने को आमादा है। उनका यह भी मानना है कि अभी वायु की गति कम है। आने वाले दिनों में जैसे जैसे सर्दी जालिम बनेगी, वायु की गति भी बढ़ेगी। ऐसे में प्रदूषण और खराब होना शुरू हो जायेगा।

पराली नहीं जलाने की कोशिशों के बावजूद पंजाब ,हरियाणा में धड़ल्ले से पराली जलायी जा रही जिससे दिल्ली वाले स्वयं को लाचार मान दिल थामे बैठे हैं क्योकि उनके पास पराली से राजधानी में आने वाले धुंए और जहरीली हवा को रोकने का कोई साधन नहीं हैं जिससे वे आने वाले धातक समय की आशंका को साध सकें। पराली जलाने का काम अभी कई सप्ताह जारी रहेगा।

सर्दी में हवायें तेज होंगी तो अपने साथ नजदीकी राज्यों से पराली जलाने से निकलने वाला जहरीला प्रदूषण भी लायेंगी, दिल्ली क्या सांस लेने लायक नगर माना जायेगा, कतई नहीं। ऐसे में इस शहर के बचपन और बुढ़ापे का हाल बेहद बुरा हो जायेगा जो किसी भी इमरजेंसी से घातक होगा। इस माहौल में दिवाली के दौरान अनिवार्य माने जाने वाले पटाखों को भी सीमित करना होगा। अगर पटाखों को सही तरह सीमित और उसके दायरे को बसावट से दूर करने के उपाय नहीं किये गये तो जो होगा उसकी कल्पना नहीं की जा सकती।

प्रदूषण के मुद्दे पर हमारी माननीय सुप्रीम कोर्ट सजग है। इस बीच एक पर्यावरणविद विक्रांत तोंगड़ ने सुझाव दिया जिस पर अमल करने से सर्दियों के दौरान प्रदूषण के दंश से बचा जा सकता है। उनका कहना है कि सर्दियों में वाहनों की तादाद में बड़ी संख्या में कमी लाने के लिये जरूरी है कि मेट्रो की सवारी सर्दी के मौसम में मुफ्त यानी बिल्कुल मुफ्त कर दी जाये। मगर इस सुझाव को मेट्रो तो नहीं मानेगी।

जो मेट्रो सीनियर सिटिजन और छात्रों को कोई रियायत देने को तैयार नहीं वह दो महीने के लिये ही सहीं अपनी सेवा सबके लिये मुफ्त कैसे कर सकती है। मेट्रो को अभी जापान का कर्ज भी उतारना है। लेकिन तोंगड़ का कहना है कि समाज को कम नुकसान वाली स्थिति का चयन करना चाहिये क्योंकि प्रदूषण से होने वाले नुकसान से कहीं कम होगा मेट्रो सेवा मुफ्त करने का नुकसान। बात तो सही है मगर मेट्रो की वित्तीय स्थिति और भावी विस्तार को देखते हुये इस सुझाव को  कोई नहीं मानेगा।

दहेज का लोभी

हमारे देश में दहेज के विषाणु समाज को दीमक की तरह खोखला कर रहे हैं। यह सही है कि ये दीमक हर मजहब के लोगों को दहेज का लालची बना रहा है। सरकार और सामाजिक संगठन दहेज के खिलाफ जनजागरूकता प्रसार कर रहे हैं मगर वही ढाक के तान पात वाली स्थिति है। लखनऊ के खुरर्मनगर में बहराइच से आयी एक अल्पसंख्यक समुदाय के एक जवान की बारात को दहेज के कारण न केवल बदनामी झेलनी पड़ी अपितु दूल्हे की शक्ल सूरत के बारह बजा दिये गये। दुल्हे ने दहेज में मांगी सोने की मोटी चेन और मोटर साइकिल तो लड़की वालों ने दूल्हे को आधा गंजा करके बारात बैरंग लौटा दी। इस घटना से कोई सबक लेगा, संदेह लगता है।

इटली में मुफ्त खाना

इटली के मिलान शहर के एक शानदार होटल में आप भी लंच, डिनर मुफ्त कर सकते है लेकिन एक आसान शर्त है। अगर आप इंस्टाग्राम पर हैं तो जिस दिन आपके एक हजार फॉलोअर हो जायें आप बेधड़क उस होटल में जाकर मुफ्त में मौज मनायें।