नोएडा: मंगलवार को आयकर विभाग की टीम ने जांच के दौरान नोएडा व दिल्ली में कोटक महिंद्रा बैंक की शाखाओं में फिर 150 नए फर्जी खाते का खुलासा किया. इन खातों से करीब एक हजार करोड़ रुपये के लेन-देन की बात सामने आई है. सोमवार को आयकर विभाग की टीम को कोटक महिंद्रा बैंक में फर्जी कंपनियों के खातों की जानकारी मिली थी. इसके आधार पर आयकर विभाग की कई टीमें जांच में जुट गई हैं. मंगलवार को पकड़े गए खाते में से अधिकांश खाते दिल्ली के कोटक महिंद्रा बैंक के हैं.
जागरण के अनुसार, आयकर विभाग की टीमें अब कोटक महिंद्रा बैंक की सभी शाखाओं की जांच करने की तैयारी कर रही है. आशंका जताई की जा रही है कि अभी इससे भी अधिक फर्जी खातों का फर्जीवाड़ा सामने आ सकता है. फिलहाल जो फर्जी खाते पकड़ में आए हैं, और उनके द्वारा बैंक में जमा किए गये दस्तावेजों की जांच की जा रही है. जिस व्यक्ति के दस्तावेजों का प्रयोग किया गया है, उससे पूछताछ के बाद जिन खातों में लेन-देन किया गया है, उन सभी खाता धारकों से भी पूछताछ होगी. विभाग के अधिकारियों के मुताबिक जांच को जितना आगे बढ़ाया जा रहा है, उतना ही फर्जी खातों का खुलासा हो रहा है.
वहीँ लाल महल कंपनी के निदेशकों के छापा पड़ते ही अस्पताल में भर्ती हो गये, और अब उनके अस्पताल से बाहर आने का इंतजार किया जा रहा है. बताया जा रहा है कि कंपनी के चार में से दो निदेशक के फरार होने के बाद डीआरआइ (डायरेक्ट्रेट ऑफ रेवेन्यू इंटेलीजेंस) ने अस्पताल के बाहर घेराबंदी कर दी है.
कंपनी के चार निदेशकों में 84 वर्षीय हरिनारायण, उनका पुत्र प्रेमचंद्र गर्ग, प्रेमचंद्र की पत्नी अनीता और बेटा देवाशीष शामिल हैं. छापे के बाद से ही अनीता व देवाशीष फरार हो गए हैं, जबकि हरिनारायण व उनका पुत्र प्रेमचंद्र गर्ग अस्पताल में भर्ती हैं. जांच अधिकारियों ने डॉक्टरों से अस्पताल में भर्ती दोनों निदेशकों के बीमारी के बारे पता लगा लिया है कि क्या और कौन सी बीमारी है. डीआरआइ के डिप्टी डायरेक्टर मनीष कुलहरी ने बताया कि बुजुर्ग हरिनारायण का स्वास्थ्य वास्तव में ठीक नहीं है, जबकि प्रेमचंद्र गर्ग को ब्लड प्रेशर बढ़ने की शिकायत पर भर्ती किया गया था. इसलिए जांच दल भी अब उनके अस्पताल से बाहर आने का इंतजार कर रहा है.