नई दिल्ली: दलित मुहक़्क़िक़ रोहित वीमोला की ख़ुदकुशी को ज़ात पात के तास्सुब का नतीजा क़रार देते हुए जे डीयू ने आज कहा कि मौजूदा सरकारी मुलाज़िमतों और तालीमी इदारों में तहफ़्फुज़ात की पालिसी पर नज़रसानी की कोई ज़रूरत नहीं है।
इस वाक़िये को पूरी क़ौम के लिए शर्मनाक क़रार दिया। सदर पार्टी शरद यादव ने पुरज़ोर अंदाज़ में कहा कि तालीम और रोज़गार के शोबों के लिए 10 साल की तहदीद आइद नहीं की गई है। अपने एक बयान में उन्होंने कहा कि सिर्फ सियासी तहफ़्फुज़ात नशिस्तों पर तहफ़्फुज़ात बराए लोकसभा असेम्बली के तहफ़्फ़ुज़ की मुद्दत 10 साल मुक़र्रर की गई थी और इस पालिसी पर उस के बाद नज़रेसानी की जानी थी जैसा कि बाबा साहिब बी आर अंबेडकर ने कहा था और हर 10 साल के बाद पार्लीयामेंट सियासी तहफ़्फुज़ात की मुद्दत में तौसीअ कर सकती थी।
शरद यादव के तबसरे उस वक़्त मंज़र-ए-आम पर आए जबकि स्पीकर सुमित्रा महाजन ने हफ़्ते के दिन गुजरात में बयान दिया था कि अफ़सानवी दलित शख़्सियत बीआर अंबेडकर ने 10 साल की तहदीद मुक़र्रर की थी। मुबय्यना तौर पर सुमित्रा महाजन ने गांधी नगर में कहा था कि बीआर अंबेडकर कह चुके हैं कि तहफ़्फुज़ात 10 साल के लिए हैं और 10 साल के बाद उन पर नज़रेसानी की जानी चाहिए। बाद मे उन्होंने वज़ाहत कर दी कि उनका इज़हार-ए-ख़याल तहफ़्फुज़ात के ख़िलाफ़ नहीं था।