कोडंगल और नारायणपेट् की वनपरती में शमूलीयत नाक़ाबिल-ए-क़बूल

नारायणपेट डीवीझ़न के हलक़ा असेंबली नारायणपेट और कोडंगल को तेलंगाना रियासत में नए बनाए जाने वाले अज़ला वनपरती में शामिल किए जाने की मुख़ालिफ़त अवामी एहतेजाज में तबदीली हो रही है।

चीफ़ मिनिस्टर तेलंगाना के सी आर ने चुनाव के दौरान कहा था कि नागर करनूल और वनपरती को नए अज़ला की फ़हरिस्त में शामिल किया जाएगा। टी आर एस के इक़तिदार पर आने के बाद ये क़ियास आराईयां ज़ोर पकड़ रही हैं कि वनपरती को अगर ज़िला बनाया जाता है तो इस में हलक़ा असेंबली जात गदवाल,वनपरती,आलमपुर,कोडंगल और नारायणपेट् को शामिल किया जाने वाला है।

नारायणपेट और कोड़निगल से वनपरती का फ़ासिला 160 किलोमीटर पर मुश्तमिल है। महबूबनगर मुस्तक़र को उबूर कर के 70 किलो मीटर का फ़ासला तए करना पड़ता है जो कि कोडंगल और नारायणपेट को ज़िला बनाया जाकर इस में हलक़ा असेंबली कोड़निगल ,नारायणपेट ,मकथल और देवरकुदरा को शामिल किया जाये क्युंकि नारायणपेट क़दीम तिजारती मर्कज़ है।

एस राजिंदर रेड्डी रुकने असेंबली नारायणपेट् ने हलक़ा असेंबली नारायणपेट् को वनपरती ज़िला बनाए जाने की सूरत में शमूलीयत की इत्तेलाआत पर हैरत का इज़हार करते हुए कहा कि नारायणपेट को वनपरती में शामिल करने के मुताल्लिक़ कूचने वालों को सब से पहले महबूबनगर के जुग़राफ़ियाई हदूद और नक़्शा का मुताला करना चाहीए अवाम को सहूलत पहुंचाने के बजाये अवाम को मुश्किल का शिकार बनाना इस तरह की बातें सोचने की बराबर है।

कोडंगल और नारायणपेट की शमूलीयत वनपरती में किसी भी सूरत नाक़ाबिल क़बूल है अगर एसा हुआ तो अवामी एहतेजाज शुरू किया जाएगा। अवाम भी इन इत्तेलाआत पर हैरत का इज़हार कररहे हैं। अवाम का कहना हैके नारायणपेट को ज़िले का दर्जा दिया जाये या महबूबनगर में ही रहने दिया जाये या फिर हैदराबाद में मिलाया जाये क्युंकि नारायणपेट से हैदराबाद का फ़ासिला 160 किलो मीटर है और वनपरती का फ़ासिला भी 160 किलोमीटर है। अवामी सहूलत के नाम पर अवाम को तकलीफ़ पहचाने के सयासी फ़ैसला ना लेने की बात अवाम में गुफ़्तगु-ओ-बहस का मौज़ू बनी हुई है।