नयी दिल्ली : यूपीए सरकार के दौरान हुए कोल ब्लॉक एलॉटमेंट घोटाला मामले में सीबीआई की ख़ुसूसी अदालत ने आज मुज़रिम ठहराये गये रुंगटा ब्रदर को 4 साल की सजा सुनाई है. अदालत ने दोनों के ऊपर 5 लाख का जुर्माना जबकि कंपनी के ऊपर 25 लाख का जुर्माना लगाया है. इससे पहले 25 मार्च को झारखंड इस्पात प्राइवेट लिमिटेड (जेआइपीएल) और इसके दो डायरेकटर आरएस रूंगटा और आरसी रूंगटा को मुज़रिम ठहराया गया था.
कोल ब्लॉक घोटाले के 39 मामलों में यह पहला मामला है, जिसमें सीबीआइ के ख़ुसूसी अदालत ने अपना फैसला सुनाते हुए इन्हें मुज़रिम ठहराया था. सीबीआई जज भारत पराशर ने रूंगटा ब्रदर्स और कंपनी को धोखाधड़ी और आपराधिक साजिश के तहत मुज़रिम ठहराया था. कोर्ट ने फैसले में कहा था कि इन्होंने गैरकानूनी तरीके से लातेहार वाक़ेय नॉर्थ धादू कोल ब्लॉक को हासिल किया. एक तरफ जहां इन्हें इस मामले में मुज़रिम ठहराया, वहीं फर्जीवाड़ा समेत कुछ दीगर इल्ज़ामात से बरी भी कर दिया. कोर्ट के फैसले के बाद जमानत पर चल रहे रूंगटा ब्रदर्स को फ़ौरन हिरासत में ले लिया गया था.
इससे पहले सुनवाई के दौरान सीबीआइ ने कोर्ट को बताया था कि आरोपियों ने गलत और फर्जी दस्तावेजों की बुनियाद पर कोल ब्लॉक को हासिल किया था. रुंगटा बंधुओं ने गलत दस्तावेज की बुनियाद पर लातेहार में नॉर्थ धादू कोल ब्लॉक हासिल किया था. सीबीआई ने जेआइपीएल की तरफ से गलत दस्तावेज की बुनियाद पर कोल ब्लॉक एलॉटमेंट कराने का इलज़ाम लगाया था. अदालत में दाखिल आरोप पत्र में कहा गया था कि कंपनी के डायरेकटर ने इलेक्ट्रो स्टील कास्टिंग लिमिटेड, आधुनिक अलॉय पावर लिमिटेड और पवन जय स्टील लिमिटेड के नाम पर कोल ब्लॉक एलॉटमेंट के लिए दरख्वास्त दिया था. कंपनी के डायरेकटर ने कोल ब्लॉक एलॉटमेंट कराने के लिए दिये गये दस्तावेज में गलत ब्योरा दर्ज किया था. कंपनी की तरफ से पेश दस्तावेज में कहा गया था कि कंपनी के पास 100 एमटी क्षमतावाला एक भठ्ठी है.