केरल उच्च न्यायालय ने ऑल इंडिया प्री-मेडिकल टेस्ट 2016 के लिए मुस्लिम लड़कियों को अपनी धार्मिक पोशाक ‘हिजाब’ पहनने की एकल पीठ द्वारा अनुमति देने के आदेश के ख़िलाफ़ केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड (सीबीएसई) द्वारा दायर याचिका को ख़ारिज कर दिया गया |न्यायमूर्ति पी एन रवींद्रन और न्यायमूर्ति सुनील थॉमस की खंडपीठ ने 26 अप्रैल को एकल न्यायाधीश के आदेश में ये कहते हुए हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया कि इस याचिका का कोई आधार नहीं है |
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सीबीएसई ने अप्रैल 26 को एकल न्यायाधीश द्वारा दिए गये उस फैसले को स्वीकार कर लिया है जिसमें उम्मीदवारों को हिजाब पहनकर सुबह 8.30 बजे परीक्षा में शामिल होने का निर्देश दिया है |
अपने आदेश में न्यायमूर्ति मोहम्मद मुश्ताक सभी उम्मीदवारों को , धार्मिक प्रथा के आधार पर, स्कार्फ और पूरी बाजू की पोशाक पहनने अनुमति देते हुए कहा कि उन्हें महिला निरीक्षक द्वारा तलाशी देनी होगी और परीक्षा से एक घंटे पहले हॉल में पहुंचना होगा |
अपनी अपील में, सीबीएसई ने कहा कि एकल न्यायाधीश द्वारा लाखों छात्रों के प्रभावित होने को नज़रंदाज़ किया गया है हालाँकि इस तरह से परीक्षा के संचालन के लिए व्यवस्था पूरी कर ली गई है |
सीबीएसई ने कहा कि यह “धार्मिक भावनाओं का सम्मान” के इस फैसले में अतिरिक्त महिलाओं निरीक्षक के लिए आवश्यकता होगी और इस सब के लिए महिलाओं निरीक्षकों को ट्रेनिंग देनी होगी जो बहुत लम्बा और बोझिल प्रक्रिया है |
एकल पीठ ने अपने आदेश में कहा था कि सीबीएसई ड्रेस कोड, उम्मीदवारों को संविधान के अनुच्छेद 25 के आधार पर, इस तरह की पोशाक पहनने के रूप में उनकी आस्था को निर्धारित करने के संबंध में संरक्षित हैं, के खिलाफ लागू नहीं किया जाएगा।
ये आदेश एक आमना बिंत बशीर ने एक याचिका पर जारी किया गया था, जिसमें आमना ने सीबीएसई द्वारा AIPMET-2016 के उउम्मीदवारों के लिए जारी निर्धारित ड्रेस कोड को चुनौती दी थी |