सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को एक वकील द्वारा कोर्ट में कार्यवाई से पहले राष्ट्रिय गान गाये जाने के लिए दर्ज की गयी याचिका को सुनने से इनकार कर दिया और कहा कि इसे ज़्यादा मत खींचिए।
बुधवार को न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और अमिताभ रॉय की पीठ ने आदेश दिया था कि भारत के सभी सिनेमा हॉल में फीचर फिल्म शुरू होने से पहले राष्ट्रगान बजाया जाए और हॉल में सभी उपस्थित लोगों को इसके प्रति सम्मान दिखाने के लिए खड़ा होना चाहिए।
इसके बाद एक वकील अश्वनी उपाध्याय ने इस फैसले की प्रशंसा करते हुए सुप्रीम कोर्ट से विनय किया था कि सिनेमा हाल की तरह कोर्ट में भी दिन की कार्यवाई से पहले राष्ट्रिय गान को अनिवार्य किया जाए।
“आप कौन हैं? सही हो या गलत… हम फैसला सुना चुके हैं… इसको ज़यादा नहीं खींचा जाना चाहिए अब…. यह क्या है? हम इस याचिका को नहीं सुनना चाहते,” न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने कहा।
अटार्नी जनरल मुकुल रोहतगी, जिनकी उपस्थिति उपाध्याय की याचिका के सम्बन्ध में बेंच द्वारा मांगी गई थी, उन्होंने अदालत के विचार का समर्थन किया। “हाँ, एक आदेश पहले ही दिया जा चुका है।इस पर एक नए आवेदन दर्ज करने की अब कोई वजह नहीं, “उन्होंने कहा।
उपाध्याय ने कहा कि वह इस दलील के साथ एक अलग याचिका दायर करेंगे, लेकिन अदालत ने कहा कि वह इस पर टिप्पणी नहीं करना चाहती। “आप जो आप चाहते हैं करें, लेकिन हम अभी यह नहीं ले रहे हैं,” पीठ ने कहा।
चूंकि अदालत ने लिखित आदेश द्वारा उपाध्याय की याचिका को खारिज नहीं किया है, इसलिए वकील के पास अभी भी याचिका को आगे ले जाने का विकल्प है।