कोलकाता हिट एंड रन मामला : मिडीया मुसलमानों की गलत तस्वीर पेश कर रही है : मुख्तार अली

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अब्दुल हमीद अंसारी। Siasat hindi

कोलकाता के रेड रोड पर हुए हादसे को लेकर मीडिया तासुब परस्त तासीर पेश कर रही है। मगरिबी बंगाल के मुसलमान काफी मालदार, दुनिया को ये बतलाना चाहती है। मेरा मशविरा मुस्लिम समाज से ये है कि वे अपने बच्चों को तालीमी और सामाजिक कामों से जोड़े, वरना खामियाजा या नुकसान आप को ही भुगतना पड़ेगा – ये कहना है जनाब मुख्तार अली का।

ऑल इंडिया हाजी फाउंडेशन के चेयरमैन जनाब मुख्तार अली अपने कौम के लोगों को नसीहत करते हुए कहा है कि इंसान वो है जो इंसान की खिदमत करता है, ये काम तभी मुमकिन है जब हर शख्स समाजिक कामों से जुड़े। जो लोग समाजिक और तालीमी कामों से दूर रहने की कोशिश करते हैं, उन्हीं के बच्चे गैर समाजिक कामों में शामिल होते हैं। हमारे बच्चे क्लब बजी और दीगर गैर समाजिक कामों में अपने कीमती वक्त को बर्बाद कर रहे होते हैं, और हम उनके इस फिजूल की कामो को मना तक नहीं करते हैं, जिनसे न तो समाज को भला होता है और ना ही इस कौम को।

गार्जियन को चाहिए वह खुद भी समाजिक कामों से जुड़े, बल्कि अपने बच्चों को भी इस बेहतरीन कामो में जोड़ने की कोशिश करें। मुख्तार अली ने कहा कि कोलकाता का रेड रोड के वाकये को चंद एक मीडिया इस कदर पेश कर रही है, जैसे मगरिबी बंगाल के मुसलमानों के पास बहुत पैसा हो। मगर हक़ीक़त इसके ठीक उलट है।

आज भी मगरिबी बंगाल में 90 फीसदी मुसलमान ऐसे हैं, जो आज खाएँ तो कल क्या खाएंगे इसी फिक्र में उनकी रात गुजरती है। हालात ये हैं कि आज भी 5-6 लोग एक ही कमरे में रहने के लिए मजबूर है। पांच साल कबल जस्टिस सच्चर कमेटी की रिपोर्ट में मगरिबी बंगाल के मुसलमानों की मआसी हालात को दलितों से भी नीचे बताया गया था।

जनाब मुख्तार अली ने कहा कि 10 फीसदी आबादी में 2 फीसदी ऐसे लोगों की आबादी है, जिनके पास जरूरत से ज्यादा पैसे हैं। उनको 90 फीसदी मुसलमानों से मिलाना ठीक नहीं है। गुजिस्तां पांच सालों से ममता बनर्जी की हुकूमत एक कोशिश कर रही है, लेकिन अभी भी इस हालात को बेहतर पटरी पर लाने में काफी वक्त लगेगें। मैं समझता हूं कि ये 2 फीसदी मुसलमान जो सहाब ए निसाब है, उनकी जिम्मेदारी बनती है कि वो इस 90 फीसदी मुसलमान जो गरीबी की सतह पर अपनी जिंदगी गुजारने के लिए मजबूर है, उनको मदद फराम करे।