कोहिनूर ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया गया

नई दिल्ली 19 अप्रैल: दुनिया का सबसे क़ीमती 108 क़राट का हीरा कोहिनूर का सरक़ा किया गया और ना बर्तानवी हुक्मराँ उसे ज़बरदस्ती अपने साथ ले गए बल्कि साबिक़ा पंजाब के हुकमरानों ने 167 साल पहले उसे ईस्ट इंडिया कंपनी को दिया था।

हुकूमत ने सुप्रीमकोर्ट में अपना ये मौक़िफ़ पेश किया है जबकि वो उसे वापिस लाने के लिए तमाम क़ानूनी रास्ते खुले रखने की ख़ाहां है। सॉलीसिटर जनरल रणजीत कुमार ने चीफ़ जस्टिस टी एस ठाकुर की ज़ेरे क़ियादत बेंच को बताया कि कोहिनूर हीरा के बारे में ये नहीं कहा जा सकता कि उसे ज़बरदस्ती ले जाया गया या फिर उस का सर का किया गया था क्युं कि महाराजा रणजीत सिंह के जांनशीनों ने 1849 में उसे ईस्ट इंडिया कंपनी को सिख जंगों में इन की मदद के मुआवज़ा के तौर पर दिया था। वज़ीर सक़ाफ़्त महेश शर्मा ने कोहिनूर वापिस लाने के लिए उन की वज़ारत की तरफ से किसी कार्रवाई का इमकान मुस्तर्द कर दिया। उन्होंने ज़राए इबलाग़ के नुमाइंदों से बातचीत करते हुए कहा कि अगर इस ज़िमन में कोई इक़दामात किए जा सकते हैं तो वो सिर्फ़ सिफ़ारती सतह पर ही मुम्किन हैं।

सुप्रीमकोर्ट ने हुकूमत से ये जानना चाहा कि क्या वो कोहिनूर पर अपना दावा पेश करना चाहती है जो उस वक़्त दुनिया का सबसे महंगा हीरा है और इस की क़ीमत 200 मिलियन डालर से ज़्यादा है।

सॉलीसिटर जनरल ने अदालत को बताया कि कोहिनूर वापिस लाने का मुतालिबा पार्लियामेंट में भी बार-बार किया जाता रहा है। अगर हम कोहिनूर जैसे ख़ज़ाने को दुसरे ममालिक से वापिस लाने का दावा करें तो हर मुल़्क अपनी अश्याय पर अपना दावा करना शुरू कर देगा। एसी सूरत में हमारे म्यूज़ीयमस में कुछ भी बचा नहीं रहेगा।