शाही इमाम मस्जिद फ़तह पूरी दिल्ली मुफ़्ती मुहम्मद मुकर्रम अहमद ने नमाज़ जुमा से पहले ख़िताब में मुस्लमानों से अपील की कि इस माह मोहतरम ज़ी कादा को इबादत-ओ-रियाज़त में गुज़ारने का एहतिमाम करें।
शाही इमाम ने उत्तरप्रदेश मुज़फ़्फ़र नगर इलाक़ों में मुस्लमानों के जान-ओ-माल की तबाही पर शदीद अफ़सोस का इज़हार किया और शदीद एहतिजाज करते हुए वज़ीर-ए-आला उत्तरप्रदेश से मांग किया कि मुस्लमानों के तहफ़्फ़ुज़ और बाज़ आबादकारी मुआमला में बी जे पी और फ़िर्क़ा परस्तों के ख़िलाफ़ कार्रवाई करें और जिन लोगों और अरकान एसेंबली के ख़िलाफ़ मुक़द्दमात दर्ज हुए हैं उन की गिरफ़्तारी करके अमन को पायदार बनाऐं।
उन्होंने कहा कि आज भी वहां अमन नहीं है और जिन इलाक़ों से मुस्लमान जान बचाकर नक़ल मुक़ाम करे हैं उन्हें वापिस अपने मकानात में लाने का काम हुकूमत उत्तरप्रदेश नहीं कररही है। बहुत से लोगों को नई जगहें और छोटे मकानात दूसरी जगह पर अलॉट करने की बात की जा रही है आख़िर ऐसा क्यों ?
शाही इमाम ने कहा कि 16 सितंबर को वज़ीर-ए-आज़म और मुहतरमा सोनिया गांधी ने भी दौरा किया था लेकिन वो भी ख़ाना पुरी थी। इससे मुस्लमानों के तहफ़्फ़ुज़ और बाज़ आबादकारी का मसला हल नहीं हुआ। उन्होंने मुतालिबा किया कि ख़ित्ता में पायदार अमन बहाल किया जाये।
शाही इमाम ने यू पी एस सी इमतिहानात से अरबी और फ़ार्सी को निकाले जाने पर शदीद एहतिजाज करते हुए उसे मर्कज़ी हुकूमत का फ़िर्क़ा पुरस्ताना इक़दाम बताया। मुफ़्ती मुकर्रम अहमद ने कहा कि अरबी और फ़ार्सी सदियों से हिंदुस्तान की क़दीम जुबानें हैं। हिंदुस्तान में बिहार और यू पी में अरबी-ओफ़ार्सी यूनीवर्सिटीयां भी क़ायम हैं और उन जुबानों को बोलने, लिखने वाले पूरे हिंदुस्तान में हैं, उन्हें भी संस्कृत की तरह पर यू पी एस सी में बरक़रार रखा जाये।