क्या आप जानते हैं किस प्रकार का है आपका किडनी स्टोन ?

किड़नी स्टोन, किडनी (गुर्दे) में पाये जाने वाले वह छोटे पत्थर होते हैं, जो कैल्शियम, फॉस्फोरस, सोडियम और ऑक्सेलेट जैसे पदार्थों से बने होते हैं। यद्यपि ज्यादातर किडनी स्टोन, खुद-ब-खुद यूरिन के माध्यम से शरीर से बाहर निकल जाते हैं और उनमें कोई परेशानी नहीं आती है, लेकिन कुछ स्टोन जो आकार में बहुत बढ़ जाते हैं, इस तरह के स्टोन्स को केवल मेडिकल ट्रीटमेंट के द्वारा ही निकाला जा सकता है।

किडनी स्टोन का इलाज, इनके आकार के आधार पर ही किया जाता है। कुछ पथरियां या स्टोन ऐसे होते हैं, जो दवाइयों से घुल जाते हैं और यूरिन के माध्यम से बाहर निकल जाते हैं। लेकिन यदि यह दवाइयों से बाहर नही आ पाते तो फिर इन्हें सर्जरी के द्वारा बाहर निकाला जाता है।

स्टोन्स अपने आकार और पदार्थों के आधार पर चार प्रकार के होते हैं। ये चार प्रकार, पदार्थों के आधार पर चार भागों में बांटे गए हैं :-

कैल्शियम स्टोन
ज्यादातर किडनी स्टोन्स (गुर्दे की पथरी) कैल्शियम कंपाउंड्स की बनी होती हैं, खास कर कैल्शियम ऑक्सलेट की। वहीं इन पथरियों के बनने में, कैल्शियम कम्पाउंड के अलावा, केल्शियम फॉस्फेट और कुछ मिनरल्स भी मिले होते हैं। यदि किसी व्यक्ति में कैल्शियम के स्तर में असामान्य तौर पर बढ़ोत्तरी हो जाए, या उसे अतिपरजीविता (hyperparathyroidism) हो जाए, तो उनमें कैल्शियम स्टोन्स के होने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं। इसके अलावा शरीर में, ऑक्सलेट के बढ़ जाने के कारण भी उसमें कैल्शियम स्टोन्स के बनने की संभावनाएं बढ़ जाती हैं।

इस तरह की पथरी का एक सकारात्मक पहलू यह है कि इस तरह के स्टोन्स के लिए चिकित्सा जगत में, दवाइयाँ उपलब्ध हैं।

यूरिक एसिड स्टोन
कुछ किडनी स्टोन ऐसे भी होते हैं, जो यूरिक एसिड से बने होते हैं। यह वह बेकार तत्व होते हैं, जिन्हें शरीर किड़नी के द्वारा शरीर से बाहर निकालता है। यदि आपमें नीचे बताए गए कारक मौजूद हों तो, आपमें इस तरह के स्टोन के होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती हैं।

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कारक :-

लो यूरिन आउटपुट (यूरिन न आना या कम आना)
एनीमल प्रोटीन (पशुओं से मिलने वाले प्रोटीन) जैसे रेड मीट का अधिक प्रयोग।
एल्कोहल की मात्रा में बढ़ोत्तरी
गाउट (एक प्रकार का रोग)
सूजा आंत्र रोग
इस तरह के किडनी स्टोन को घोलने के लिए भी चिकित्सा जगत में दवाइयाँ उपलब्ध हैं।

स्‍ट्रूवाइट स्टोन
इस तरह के स्टोन को इंफेंक्शन स्टोन (संक्रमण स्टोन) के नाम से भी जाना जाता है। यह किड़नी या यूरिनरी ट्रैक्ट इंफेंक्शन ((UTIs) के कारण बनते हैं। यदि इस तरह की पथरी या स्टोन बढ़ कर बहुत बड़ी हो जाए, तो इसे सतघोरन पथरी (staghorn calculi) भी कहा जाता है।

इस तरह की पथरी कभी-कभी बहुत घातक भी हो जाती है। ऐसा इसलिए क्योंकि यह पथरी बहुत बड़ी होती है, और इसका सबसे मुख्य कारण संक्रमण होता है। इस बीमारी के इलाज के लिए, एंटीबायोटिक्स और रिमूवल ऑफ़ स्टोन (सर्जरी के द्वारा पथरी को निकालना) के द्वारा भी किया जाता है। इस तरह की पथरी से, पुरुषों के मुकाबले महिलाऐं ज्यादा प्रभावित होती हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि उनमें यूरिन सम्बंधित संक्रमण होने की संभावनाएं बहुत ज्यादा होती हैं।

सीस्टीन स्टोन (Cystine Stones)
इस तरह का स्टोन बहुत ही कम देखने को मिलता है। यह स्टोन, सिस्टीन नाम के केमिकल का बना होता है। सीस्टीन स्टोन होने की संभावना ऐसे लोगों में ज्यादा होती है, जिनके परिवार में से पहले भी किसी को जाँच के दौरान, सीस्टीन केमिकल की पुष्टि हुई हो।

यह स्टोन दवाइयों के साथ, घोला जा सकता है, लेकिन कभी-कभी इसका घुलना बहुत मुश्किल होता है। इसीलिए यदि इस स्टोन का आकार बहुत बढ़ गया हो, तो उसके लिए सर्जरी के द्वारा ही इसे निकाला जा सकता है।

लेखक: डॉ.उमर फारूक आफरीदी