सीपीआई ने बेगूसराय से कन्हैया कुमार को उम्मीदवार बनाकर इस सीट और इसी के साथ बिहार में अपनी वापसी का राह देख रही है, लेकिन कहा ये भी जा रहा है कि जातीय समीकरणों के चलते कहीं सीपीआई का ये सपना, सपना ही न रह जाए.
भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी यानी सीपीआई ने जेएनयू छात्र संघ अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार को आधिकारिक तौर पर बिहार की बेगूसराय संसदीय सीट से उम्मीदवार घोषित कर दिया है. हालांकि गठबंधन में सीपीआई को ये सीट मिलेगी या नहीं, ये अभी तय नहीं है, लेकिन कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी की घोषणा के साथ बेगूसराय लोकसभा सीट एक बार फिर चर्चा में आ गई है.
पिछले करीब एक साल से कन्हैया कुमार को बेगूसराय संसदीय सीट से महागठबंधन का उम्मीदवार बनाए जाने की चर्चा जोरों से चल रही थी, लेकिन बिहार में महागठबंधन में शामिल सबसे प्रमुख पार्टी राष्ट्रीय जनता दल और न ही कांग्रेस पार्टी की ओर से इस बारे में कोई स्पष्ट बयान अब तक नहीं आया है. लेकिन ऐसा माना जा रहा है कि गठबंधन की मुहर यदि नहीं लगती है, फिर भी सीपीआई कन्हैया कुमार की उम्मीदवारी को वापस नहीं लेगी.
पूरब के लेनिनग्राद के नाम से चर्चित बेगूसराय सीट कभी कम्युनिस्ट पार्टी का गढ़ हुआ करती थी. यहां से सीपीआई के सांसद भले ही न चुने गए हों लेकिन वोट हमेशा अच्छा पाते रहे हैं जिससे उनके दबदबे का पता चलता है. इस लोकसभा में आने वाली सात विधानसभा सीटों में से कई पर सीपीआई उम्मीदवार जीतते भी रहे हैं.
वहीं दूसरी ओर, जातीय समीकरणों की बदौलत राजनीति की नैया पार लगाने वाले बिहार में ये सीट इस लिहाज से भी काफी अहम मानी जाती है. करीब 17 लाख मतदाताओं वाली इस सीट पर भूमिहार जाति के मतदाता सर्वाधिक संख्या में हैं और चुनाव इस सीट पर कोई भी पार्टी जीते, जाति अक्सर उसकी भूमिहार ही होती है.
साभार- ‘डी डब्ल्यू हिन्दी’