क्या बंद हो जाएगी तहलका?

तहलका की मैनेजिंग एडिटर शोमा चौधरी के इस्तीफे के बाद अब सवाल उठने लगे हैं कि क्या यह तहलका के आखिरी की शुरुआत है? जूनियर कॉलीग से Sexual Harassment के मामले में फंसे तहलका के एडीटर तरुण तेजपाल को बचाने के इल्ज़ाम का सामना कर रहीं शोमा ने जुमेरात के रोज़ अपने ओहदे से इस्तीफा दिया है। इसके साथ ही मुतास्सिरा सहाफी समेत कुल 7 सहाफी पिछले 5 दिनों में तहलका से इस्तीफा दे चुके हैं। तहलका के बंद होने के खदशातके पीछे चार बड़ी वजहें काम कर रही हैं।

सबसे बड़ी और पहली वजह तो यह पूरा मामला ही है जिसके वजह से तहलका के एडीटर तरुण तेजपाल को इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बड़ी वजह है शोमा चौधरी का इस्तीफा। सीनीयर सहाफी नीरजा चौधरी का कहना है कि शोमा का जाना मतलब एक इदारे के तौर पर तहलका के आखिरी की शुरुआत जैसा ही है। तीसरी वजह है तहलका को चलाने वाली कंपनी अनंत पब्लिकेशन के मालिक केडी सिंह का बयान, जिसमें उन्होंने कहा है कि वह तहलका का साथ छोड़ देंगे। उनका यह बयान तहलका के लिए और मुश्किलें खड़ी करने वाला है।

तृणमूल कांग्रेस से राज्यसभा एमपी केडी सिंह अगर तहलका से अपना हाथ खींच लेंगे तो तहलका का बंद होना तकरीबन तय है। तहलका के बंद होने के कयासों के पीछे जो चौथी सबसे बड़ी वजह है वह है तहलका को होने वाला नुकसान । इत्तेला के मुताबिक साल 2011-12 में तहलका को साढ़े 10 करोड़ रुपए का घाटा हुआ था।

इन सबके इलावा फर्स्ट पोस्ट की खबर के मुताबिक तेजपाल और उनकी फैमिली के साथ शोमा पर तहलका के शेयर्स में भी गड़बड़ी के इल्ज़ाम लगे हैं। इल्ज़ामात के मुताबिक तेजपाल और उनकी फैमिली ने गलत तरीके से शेयर बेचकर पैसे कमाए। शोमा चौधरी ने भी 5 हजार रुपये के शेयर से लाखों रुपये बना लिए। इस पूरे मामले में कांग्रेसी वज़ीर कपिल सिब्बल और बीजेपी के राम जेठमलानी का पैसा लगा होने की बात भी सामने आ रही है। वहीं सिब्बल का कहना है कि 80 फीसद शेयर तो छोड़िए, उनके पास तहलका का एक भी शेयर नहीं है। उन्होंने सिर्फ 5 लाख रुपये चंदे के तौर पर तहलका को दिए थे।

कपिल सिब्बल ने कहा, ‘सोशल मीडिया में एक और झूठ फैलाया जा रहा है। 2011 के रेकॉर्ड से साफ है कि तहलका के 80 फीसदी शेयर मेरे पास हैं। पर सच यह है कि मैंने आज तक तहलका से एक भी शेयर नहीं मांगा। न ही उन्होंने मुझे आज तक कोई शेयर सर्टिफिकेट दिया। इस तरह का झूठ फैलाना ठीक नहीं है। इस काम में आरएसएस को महारथ हासिल है लेकिन सुषमा स्वराज इसका सहारा लेंगी यह नहीं पता था।’ उधर सुषमा स्वराज का कहना है कि उन्होंने तो सीधे तौर पर किसी का नाम नहीं लिया।

कपिल सिब्बल खुद ही सफाई देने के लिए आगे आ गए तो इसे क्या समझा जाए।