‘क्या महिलाओं के खिलाफ शरई कानून का दुरुपयोग तो नहीं हो रहा?’

लन्दन: ब्रिटिश सचिव गृह का कहना है कि एक स्वतंत्र समीक्षा से यह बात साबित हो कि इंग्लैंड और वेल्स में शरीयत कानून महिलाओं के खिलाफ भेदभाव के लिए इस्तेमाल तो नहीं किए जा रहे। सचिव गृह थीरेसामै का कहना था कि यह देखा जाए कि क्या शरई कानून ब्रिटिश कानूनों के साथ संगत कर रहे हैं और क्या उनका ‘दुरुपयोग’ तो नहीं किया जा रहा है।उनका कहना था कि कुछ धार्मिक परिषदों ने जबरन शादी और महिलाओं को अनुचित तलाक को ‘कानूनी स्थिति’ देने की कोशिश कर रही हैं।

इस समीक्षा अगले साल पूरा किया जाएगा।इस समीक्षा की अध्यक्षता इस्लामी शिक्षाओं के विशेषज्ञ प्रोफेसर मोना सिद्दीकी करेंगी।इस समीक्षा की घोषणा पिछले साल सरकार काउंटर आतंकवाद के उपायों के तहत किया गया था।

गौरतलब है कि ब्रिटेन में पिछले कुछ वर्षों में शरीयत कानून के उपयोग में वृद्धि हुई है और हजारों मुस्लिम विवाद के समाधान के लिए हर साल शरई परिषदों का उल्लेख करते हैं।हालांकि सचिव गृह का कहना है कि ऐसे सबूत मिले हैं जिससे पता चलता है कि कुछ धार्मिक परिषदों ‘भेदभावपूर्ण और अस्वीकार्य तरीके से’ काम की दोषी हो सकती हैं।

प्रोफेसर मोना सिद्दीकी का कहना था कि यह ‘व्यापक, समय और व्यापक सिंहावलोकन’ होगा जो बताएगा कि शरई परिषदों में दरअसल क्या होता है। ‘समीक्षा पैनल में परिवार ला बैरिस्टर सैम प्रमुख, सेवानिवृत्त न्यायाधीश सर मार्क हेडली और पारिवारिक मामलों के विशेषज्ञ वकील एन मैरी हचनसन शामिल होंगे।

इसके अलावा दो धार्मिक विशेषज्ञों इमाम सैयद अली अब्बास रिज़वी और इमाम पाठक आसिम की परामर्श भी शामिल होगी।