बैंगलोर, ०३ नवंबर ( पीटीआई) वीपरो सरबराह अज़ीम प्रेम जी ने आज अरविंद केजरीवाल को तन्क़ीद (समीक्षा) का निशाना बनाते हुए कहा कि वो हर गुज़रते दिन के साथ किसी नई शख़्सियत के बारे में इन्किशाफ़ करते (राज़ खोलते) नज़र आरहे हैं ।
ताज्जुब तो इस बात पर है कि इल्ज़ामात लगाते वक़्त मज़कूरा (उक़्त)शख़्सियत या इल्ज़ामात के मुसद्दिक़ा (Confirm) होने की तौसीक़ (पुष्टी) भी नहीं की जाती ।
मीडीया नुमाइंदों से बात करते हुए उन्होंने एक सवाल के जवाब में ये बात कही । उन्होंने कहा कि आज बेशक राबर्ट वड्रा, सलमान ख़ुरशीद और गांधी ख़ानदान के मुताल्लिक़ जो बातें हो रही हैं इससे मुल्क का वक़ार (प्रतिष्ठा/ सम्मान) बुलंद नहीं हुआ है, लेकिन ऐसा महसूस होता है कि मीडीया भी शायद केजरीवाल को पसंद करता है, वर्ना क्या बात है कि मीडीया भी केजरीवाल की हाँ में हाँ मिलाता नज़र आ रहा है ।
क्या मीडीया का फ़र्ज़ नहीं है कि वो किसी भी इल्ज़ाम के मुसद्दिक़ा ( पुष्टी) होने या ना होने का पता लगाए ।
हालिया काबीनी (Cabinet) रद्दोबदल से मुताल्लिक़ अपने ख़्यालात का इज़हार करते हुए उन्होंने कहा कि जहां तक वो समझते हैं कि काबीना में नौजवानों को मुतआरिफ़ (Introduction) इसलिए किया गया है कि हुकूमत उन से मुसबत नताइज (नतीजे) की ख़ाहां है और हर नए और नौजवान वज़ीर को वाजेह कर दिया गया है कि अगर मुसबत नताइज लाने में वो नाकाम रहे तो उनका भी वही हश्र होगा जो उन के पेशरवों का हुआ ।