क्या मुस्लिम एकजुटता को तोड़ रहा है इजरायल?

इस्राईली टीवी ने घोषणा की है कि अवी गेबी ने दो दिसंबर 2018 को संयुक्त अरब इमारात की यात्रा की थी और इस देश के तीन वरिष्ठ अधिकारियों से भेंटवार्ता की थी।

इस्राईली टीवी ने सूचना दी है कि इस्राईल की लेबर पार्टी के प्रमुख अवी गेबी ने चुपके से संयुक्त अरब इमारात की यात्रा की। समाचार एजेन्सी फ्रांस प्रेस की रिपोर्ट के अनुसार इस्राईली टीवी ने घोषणा की है कि अवी गेबी ने दो दिसंबर 2018 को संयुक्त अरब इमारात की यात्रा की थी और इस देश के तीन वरिष्ठ अधिकारियों से भेंटवार्ता की थी।

इस रिपोर्ट के अनुसार गेबी एक व्यापारिक उड़ान से जार्डन की राजधानी अम्मान के रास्ते अबुज़बी गये थे। संयुक्त अरब इमारात के अधिकारियों के निकट एक पश्चिमी अधिकारी के माध्यम से यह भेंटवार्ता हुई। सूत्र के अनुसार संयुक्त अरब इमारात के अधिकारियों के औपचारिक निमंत्रण के बाद यह यात्रा हुई है।

फिलिस्तीनियों और जायोनियों के मध्य होने वाली झड़पें, ईरान का विषय और इस्राईल की राजनीतिक स्थिति इस्राईल की लेबर पार्टी के प्रमुख और इमाराती अधिकारियों के मध्य वार्ता के महत्वपूर्ण विषय थे। इस्राईली टीवी चैनल ने घोषणा की है कि अवी गेबी चार दिसंबर को इस्राईल वापस आ गये और अपनी वापसी के तुरंत बाद यात्रा के परिणामों को उन्होंने मूसाद के प्रमुख यूसी कोहेन के सामने पेश की।

हालिया महीनों में अरब देशों विशेषकर सऊदी अरब की ओर से इस्राईल के साथ संबंधों को सामान्य बनाने के संदर्भ में किये जाने वाले प्रयासों में तीव्रता आ गयी है और टीकाकारों का मानना है कि इसका एक मूल कारण इस्लामी गणतंत्र ईरान से मुकाबला करना है। रोचक बात यह है कि अरब देश विशेषकर सऊदी अरब इस्राईल के

साथ संबंधों को सामान्य बनाने के लिए प्रयास एसी स्थिति में कर रहा है जब जायोनी शासन वर्षों से बड़ी निर्ममता से फिलिस्तीनियों का दमन कर रहा है, हज़ारों फिलिस्तीनियों के मकानों को उनकी नज़रों के सामने ध्वस्त कर चुका है और लाखों फिलिस्तीनियों को उनकी मातृभूमि से बाहर निकाल दिया है।

इसी प्रकार हज़ारों फिलिस्तीनी अब भी इस्राईल की जेलों में बंद हैं और बंद होने वालों में फिलिस्तीनी बच्चे और महिलाएं भी शामिल हैं। इसी प्रकार इराक, सीरिया और यमन संकट को उत्पन्न करने में इस्राईल ने मुख्य भूमिका निभाई है और जायोनी शासन, सऊदी अरब और संयुक्त अरब इराक और सीरिया में आतंकवादियों का समर्थन कर रहे हैं।

प्रसिद्ध अमेरिकी विचारक नोअम चामस्की ने कहा है कि देशों और उद्दंडी सरकारों को शक्तिशाली ईरान स्वीकार नहीं है क्योंकि मध्यपूर्व में वे अपनी विस्तारवादी नीति के मार्ग की सबसे बड़ी रुकावट ईरान को समझती हैं जबकि अमेरिका, सऊदी अरब और इस्राईल के षडयंत्रों से मुकाबले में ईरान बुनियादी भूमिका निभा रहा है और यह वह चीज़ है जो वर्चस्वादियों को बिल्कुल पसंद नहीं है।

साभार- ‘parstoday.com’