क्या रोहित की मां के सवालों के जवाब हैं प्रधानमंत्री के पास ?

नई दिल्ली: रोहित वेमुला की आत्महत्या ने पूरे देश की अंतरात्मा को झकझोरा दिया और दलित आंदोलनों को तेज़ किया. रोहित की आत्महत्या के एक साल बाद उनकी मां राधिका वेमुला का कहना है कि उनका बेटा जब 13-14 का था, तब भी उनका बहुत ख़्याल रखता था.

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राधिका ने बीबीसी हिंदी को बताया, “कोई मेरी ओर ऊंगली उठाकर कुछ कहे, ये उसे बर्दाश्त नहीं था. जब मेरे पति शराब पीकर घर आते और मेरी पिटाई करते तो वह मुझे बचाने आ जाता था.” राधिका ये भी मानती हैं कि जब तक राजनीति में दलितों की स्थिति बेहतर नहीं होगी तब तक हालात नहीं सुधरेंगे.
वे कहती हैं, “हर दलित को शिक्षा हासिल करके राजनीति में आना चाहिए, चाहे वो अनुसूचित जाति का हो या अनुसूचित जनजाति का. तभी दलितों को न्याय मिलेगा.”
रोहित की आत्महत्या के कुछ महीनों के बाद ही राधिका और उनके दूसरे बेटे राजा वेमुला ने बौद्ध धर्म को अपना लिया और अपने इस फ़ैसले पर वह ख़ुश हैं.

ऐसे में क्या वह इस बात से आहत हुई हैं कि आयोग ये जांच कर रहा है कि रोहित दलित था या नहीं?
बीबीसी हिंदी के अनुसार, रोहित की माँ कहती हैं, “लोखंडवाला आयोग की रिपोर्ट निराधार हैं. इसमें कहा गया है कि वाइस चांसलर अप्पा राव, मंत्री दत्तात्रेय और स्मृति ईरानी मेरे बेटे की मौत की वजह नहीं हैं. ये वह कैसे कह सकते हैं, कि रोहित ने हमें राज्य सरकार से फ़ायदे दिलाने के लिए आत्महत्या की है. वे परिवार के बारे में क्या जानते हैं. आयोग ने हमें 10 मिनट भी बोलने का वक्त नहीं दिया. यह सब बीजेपी का षड्यंत्र है.”

राधिका अपने बेटे से जुड़ी तमाम बातें शायद ही इस जीवन में भूल पाएंगी. वे कहती हैं, “उसके बारे में बहुत सारी बातें हैं. वह बहुत अच्छा लड़का था और उतना ही अच्छा अपनी पढ़ाई में भी था.”
राधिका कहती हैं, “मेरे बेटे के अलावा दूसरे लोग भी हैं जिन्हें भेदभाव का सामना करना पड़ रहा है. गुजरात के उना में स्थिति और ख़राब है. दलितों को कोई न्याय नहीं मिलता. जब तक समाज में ब्रह्मणवादी और मनुवादी विचार मौजूद है, तब तक दलितों को न्याय नहीं मिलेगा.”
लेकिन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दलितों के हितों की बहुत सारी बातें भी कर रहे हैं. उन्होंने हाल ही में सरकार द्वारा जारी ऐप का नाम डॉ. बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर रखा है.
इस बारे में राधिका कहती हैं, “वे वोट हासिल करने के लिए ड्रामा कर रहे हैं. आंबेडकर जयंती पर उन्होंने डॉ. आंबेडकर की 125 फ़ीट ऊंची मूर्ति बनाई. वे दलितों के प्रति सहानुभूति दिखा रहे हैं, लेकिन केवल वोट के लिए. अगर वे दलितों के लिए इतना कुछ करना चाहते हैं तो रोहित पर क्यों नहीं बोलते. अपने हाथों से अप्पा राव (हैदराबाद यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर) को सम्मान क्यों दिया?”