“क्या सिर्फ़ भरष्टाचारी और ह्त्या के आरोपी ही बचे हैं BJP के पास ?”

रिपोर्ट: बीजेपी का उत्तर प्रदेश में क्या हाल होगा ये तो आने वाले 2017 के चुनावों से ज़ाहिर हो जाएगा लेकिन इस चुनाव में पार्टी की साख को मज़बूत करने के लिए या बड़े तौर पे देखा जाए तो चुनावी जंग को जीतने के लिए भाजपा ने जिसको कमान सौंपी है उस पर 11 आपराधिक मुक़दमे हैं, इन मुक़दमों में ह्त्या का मुक़दमा भी शामिल है.जी, केशव प्रसाद मौर्या को कल बीजेपी का उत्तर प्रदेश अध्यक्ष बना दिया गया. ऐसा भी नहीं कि केशव प्रसाद के अलावा पार्टी में दूसरे नेता नहीं हैं बल्कि केशव प्रसाद मौर्या को तो ख़ुद बीजेपी के लोग नहीं जानते. समाचार-चैनलों की सुर्ख़ियों में कल ये भी बताया गया कि केशव जी पहले चाय वाले रहे हैं और साथ ही ये भी कि पिछले कुछ ही सालों में मौर्या जी ने ख़ूब पैसे बना लिए हैं और अब करोड़ों में खेलते हैं. वो कितने वोट दिला पायेंगे ये तो पता नहीं लेकिन फ़िलहाल उन्हें कोई चाय वाला भी नहीं जानता. जाति-गत फूट पैदा करके आम तौर पर पार्टियां चुनाव जीतने की कोशिश करती रही हैं, ये शायद उसी ओर एक क़दम है वरना ऐसी कोई बात मौर्या में नज़र नहीं आती जो बीजेपी की प्रदेश इकाई के दुसरे लीडरों में नहीं है, जातिगत समीकरण बिठाने की ये कोशिश कितनी कामयाब होगी पता नहीं लेकिन पार्टी में अन्दर अन्दर अपने अध्यक्ष बनाए जाने का एलान होने का इन्तिज़ार करने वाले कई नेताओं को झटका लगा है और वो पार्टी को कितना नुक़सान करेगा ये तो वक़्त ही बतायेगा.

इसी तरह से एक और प्रदेश कर्णाटक में भी बीजेपी ने अध्यक्ष का एलान किया, इस बार चेहरा जाना पहचाना है. कर्णाटक में बीएस येदयुरप्पा को पार्टी की कमान सौंपी गयी है. येदयुरप्पा, उनके अच्छे वोट हैं. इतना ही नहीं बीजेपी ने कर्णाटक चुनाव में जिसे कमान सौंपी है. 2012 में पार्टी से नाराज़ होकर इस्तीफ़ा देने वाले येदयुरप्पा ने अपनी पार्टी कर्नाटक जनता पक्ष भी बनायी थी लेकिन 2014 तक वो बीजेपी में वापिस आ गए और शिमोगा से लोकसभा चुनाव लड़े और जीते भी. परेशानी की बात बीजेपी के लिए ये है कि जो वो ख़ुद जगह जगह जाकर कांग्रेस को भ्रष्टाचारी पार्टी कहती रहती थी अब क्या वो कह पाएगी?, क्यूंकि येदयुरप्पा पे भी भ्रष्टाचार के संगीन आरोप रहे हैं.कर्नाटक में दयनीय स्थिति से गुज़र रही पार्टी में येदयुरप्पा का आना कितना बेहतर होता है ये तो देखने की बात होगी लेकिन कर्णाटक और उत्तर प्रदेश में दो इस प्रकार के लीडरों को अध्यक्ष के तौर पे चुने जाने से एक सवाल ज़रूर ज़हन में आता है… “क्या सिर्फ़ भरष्टाचारी और ह्त्या के आरोपी ही बचे हैं BJP के पास ?”