मनफी वोट से किसी भी इंतेखाबात के उम्मीदवारो के मुंतखब पर असर नहीं पड़ेगा। मिसाल के तौर पर अगर कहीं कुल वोटिंग में 80 फीसद वोटर्स ने नापसंदगी जाहिर की तब भी उम्मीदवरो के हक में पड़े बाकी 20 फीसदी वोट तय करेंगे कि कौन चुना जाएगा। इसमें से सबसे ज़्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार ही कामयाब फातेह माना जाएगा।
यह कहना है एनजीओ पीयूसीएल के वकील संजय पारिख का जिंहोने मनफी वोट का हक देने की मांग वाले दर्खास्तगुज़ार का
एनजीओ के वकील के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट का यह फैसला एक पहल है जो वोटरों (रायदहिंदो) को नापसंदगी का हक देती है। इससे राइट टू रिजेक्ट तक जाने का रास्ता भी साफ होता है।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद हालात यह होगी कि किसी भी इलेक्शन में गर मनफी वोट ज्यादा पड़ते हैं तो बाकी वोटिंग में सबसे ज़्यादा वोट पाने वाला उम्मीदवार ही चुना जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह पहला कदम था अब आगे मनफी वोट ज़्यादा रहना और उम्मीदवारो को कम वोट मिलने के हालात पर अदालत में दरखास्त दायर की जाएगी क्योंकि इलेक्शन का बुनियाद लोगों का यकीन होता है।
वोटींग के जरिए ही लोगों का यकीन उम्मीदवारो पर वाजेह होता है। अगर कोई उम्मीदवार कुल 20 फीसद में सबसे ज़्यादा वोट पाकर चुना जाता है तो यह लोगों के यकीन की सही परख नहीं होगी।
राइट टू रिजेक्ट का मतलब वोटरों को ईवीएम में वह सहूलत और राइट्स ( हुकूक) देना, जिसका इस्तेमाल करते हुए वे उम्मीदवारों को नापसंद कर सकें। अगर वोटर को इलेक्शन में खड़ा कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं हो तो वह इस आप्शन को चुन सकता है।
कोड आफ कंडक्ट (Code of conduct) 1961 में नियम 49-ओ के नाम से जाना जाने वाला यह नियम वोटर्स को यह राइट्स देता है कि अगर चुनाव मैदान में उतरे उम्मीदवारों में से उसे कोई भी पसंद नहीं है तो बेहिचक वह अपनी नापसंदगी जाहिर कर सकता है।
फिलहाल नियम 49-ओ के तहत नापसंदगी जाहिर करने के लिए कोई फार्म नहीं है। वोटर्स को बूथ के अंदर जाकर सबसे पहले 17-ए रजिस्टर में दस्तखत, उंगली में स्याही लगवाने जैसी सारी फार्मिलीटीज पूरी करनी होती हैं।
ईवीएम मशीन तक जाने के बाद अगर वोटर्स को कोई भी उम्मीदवार पसंद नहीं आता है तो बिना बटन दबाए वापस आकर प्रीसाइडिंग आफीसर (Presiding officer) से अपनी खाहिश जाहिर करनी होती है, फिर प्रीसाइडिंग आफीसर 17-ए रजिस्टर पर तब्सिरा करेगा कि वोट से इंकार किया और वोटर्स को दोबारा अपना दस्तखत करना होता है। ज्यादातर वोटर्स को अभी इस राइट्स की जानकारी ही नहीं है।
ईवीएम में राइट टू रिजेक्ट का आप्शन (OPTION) में शामिल करने मामला वज़ारत ए कानून के पास 2001 से लटका पड़ा है। राइट टू रिजेक्ट की मांग सामाजी कारकुन अन्ना हजारे ने भी जोरशोर से उठाई थी।
मनफी वोटिंग सिस्ट्म मे हिंदुस्तान 14वां मुल्क होगा। यह सिस्टम फिलहाल 13 ममालिक में इस्तेमाल किया जाता है। इनमें अमेरिका, फ्रांस, बेल्जियम, ब्राजील, यूनान, यूक्रेन, चिली, बांग्लादेश, फिनलैंड, स्वीडन शामिल हैं।
——————–बशुक्रिया: अमर उजाला