लखनऊ, ०६ नवंबर (सियासत न्यूज़) दुर्गा पूजा की मूर्तियां विसर्जन-ओ-सपुर्द आब करने की शब में फ़ैज़ाबाद में जो फ़िर्कावाराना फ़साद भड़का था, उस फ़साद को हुए एक अशरा गुज़र गया है, लेकिन हुकूमत का कोई ज़िम्मेदार (वज़ीर-ए-आला, वज़ीर) फ़साद से मुतास्सिरा इलाक़ों का दौरा करने के लिए नहीं गया है, जिससे मुसलमानों में समाजवादी पार्टी के तईं ( लिए) ग़म और ग़ुस्सा बढ़ता जा रहा है।
रियास्ती हुकूमत ने इस फ़साद को बिलकुल हल्के ढंग में लिया है और फ़साद की सिर्फ़ मजिस्ट्रेट तहक़ीक़ात के ही अहकाम दिए हैं, जिस के ख़िलाफ़ इलहाबाद हाइकोर्ट लखनऊ बंच के सामने जो मफ़ाद-ए-आम्मा ( जन कल्याण) की रिट दाख़िल की गई थी, इस पर समाअत ( सुनवायी) करते हुए हाइकोर्ट की बंच जो मिस्टर जस्टिस ओसानाथ सिंह और मिस्टर जस्टिस वी के दीक्षित पर मुश्तमिल थी, के सामने रियास्ती हुकूमत के एडीशनल एडवोकेट जनरल बुलबुल गोडयाल ने कहा कि इस मुआमला की मजिस्ट्रेट जांच के अहकाम रियास्ती हुकूमत पहले ही दे चुकी हैं।
फ़साद से मुतास्सिर अफ़राद ( पीड़ित लोगो) की राहत रसानी ने 99 मुतास्सिरीन (पीड़ितों) को 41 लाख रुपए की रक़म बतौर मुआवज़ा अदा कर चुकी है। लिहाज़ा ये रिट अब काबिल-ए-समाअत नहीं। अदालत ने सरकारी वकील की इस दलील को मानने से इनकार करते हुए इस मुआमला की समाअत 7 नवंबर मुक़र्रर की है।
दरख़ास्त गुज़ार ने इस फ़साद की सी बी आई से जांच करने का मुतालिबा किया था।