न्यूयार्क, 04 दिसंबर: (पीटीआई) क्लोरीन एक ऐसी दवा है, जिसके बारे में शायद ही कोई ना जानता हो क्योंकि पानी को साफ़ और जरासीम से पाक रखने क्लोरीन का ही इस्तेमाल किया जाता है, लेकिन अब वक़्त गुज़रने के साथ एक नई बात सामने आई है कि क्लोरीन से ग़िज़ाई एलर्जी लाहक़ हो सकती है ।
मुहक़्क़िक़ीन का कहना है कि जिस वक़्त पानी में क्लोरीन मिलाई जाती है ताकि उसे हर किस्म के जरासीम और कीड़ों से पाक रखा जाए लेकिन यही क्लोरीन ग़िज़ाई एलर्जी की वजह भी बन जाती है । एलर्जी की माहिर डाक्टर एलेना जेर सचिव जिनका ताल्लुक़ न्यूयॉर्क की इल़्बर्ट आइन्स्टाइन यूनीवर्सिटी से है , के मुताबिक़ क्लोरीन में डकलोरोफ़ेनल की मौजूदगी जो दरअसल जरासीम कश दवा है , से कुछ लोगों में ग़िज़ाई एलर्जी की शिकायत हो जाने का अंदेशा पैदा हो जाता है ।
डकलोरोफ़ेनल की ज़ाइद मिक़दार गिज़ा में मौजूद विटामिंस पर हावी हो जाती है और जिनका हाज़मा कमज़ोर होता है । वो ग़िज़ाई एलर्जी का शिकार हो जाते हैं । डकलोरोफ़ेनल एक एसा केमीकल है जो ज़्यादा तर जराइम कश अदवियात यह कीड़े मार अदवियात में इस्तेमाल होता है जो ज़्यादा तर किसान इस्तेमाल करते हैं क्योंकि उन्हें अपनी फसलों को मुख़्तलिफ़ कीड़ों और चूहों से ख़दशा लाहक़ रहता है ।
नल से सरबराह किए जाने वाले पानी में भी डकलोरोफ़ेनल की काकिल लिहाज़ मिक़दार मौजूद होती है । एक सर्वे के मुताबिक़ डकलोरोफ़ेनल कीड़े मार दवा के इलावा इन फलों और तरकारियों में भी मौजूद होता है जिन पर कीड़ों के असर से बचने के लिए इसका छिड़काव किया जाता है