क्वालिटी एजुकेशन में पिछड़ रहा रांची यूनिवर्सिटी, क्वालिटी सेल की रिपोर्ट

रांची यूनिवर्सिटी (आरयू) में नौजवान और असातिज़ा की कमी होती जा रही है। यूनिवर्सिटी असातिज़ा की औसत उम्र 57 साल है। क्वालिटी एजुकेशन के लिहाज से देखा जाए, तो यह संक्रमण काल के दौर से गुजर रहा है। रांची विवि के इंटरनल क्वालिटी इंश्योरेंस सेल (इक्वेक) की रिपोर्ट से कई चौंकाने वाली बात सामने आए हैं। इक्वेक के मुताबिक, मुल्क के किसी भी नामी यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर की औसत उम्र 45 से 50 साल के दरमियान है।
जबकि रांची विवि में हालत उलट है, जिससे इसका सीधा असर आला तालीम की क्वालिटी पर पड़ेगा। इक्वेक ने यह रिपोर्ट रांची विवि इंतेजामिया को सौंप दी है। तालीमी बेहतरी के लिए तशकील सेल प्रोफेसर की उम्र से मुतल्लिक़ रिपोर्ट को लेकर फिक्रमंद है।

रांची यूनिवेर्सिटी में प्रोफेसर और स्टूडेंट्स का रेशियो सही नहीं है। यूजीसी की गाइड लाइन के मुताबिक, पीजी महकमा में एक असातिज़ा पर छह स्टूडेंट्स होने चाहिए। जबकि रांची विवि में एक असातिज़ा पर 17 स्टूडेंट्स हैं। इक्वेक का मानना है कि इससे असातिज़ा और स्टूडेंट्स का डाइरेक्ट इंट्रैक्शन नहीं हो पाता है। इसका सीधा असर आला तालीम की क्वालिटी पर पड़ता है।

ऐसे सामने आया अदाद व शुमार

इंटरनल क्वालिटी इंश्योरेंस सेल (इक्वेक) ने पीजी के तमाम 22 डिपार्टमेंट्स को असातिज़ा की लिस्ट भेजने को कहा था। इसके बाद महकमा ने इक्वेक को ये जानकारी दस्तयाब करा दी। सेल दफ्तर में इसका मुखतलिफ़ फोर्मूले से तजवीज किया गया। जो अदाद सामने आए, वे चौंकाने वाले थे।

मुतासिर होगी यूनिवर्सिटी की रैंकिंग

इक्वेक के अदाद व शुमार से रांची यूनिवर्सिटी इंतेजामिया फिक्रमंद है, क्योंकि जून-जुलाई में नैक की टीम आने वाली है। तब तक हालत में बेहतरी नहीं होने वाली है। तफ़शिश के दौरान इसका असर ग्रेडिंग पर पड़ेगा। इससे यूनिवर्सिटी की रैंकिंग मुतासिर होगी।

इसलिए हुई ऐसी हालत

यूनिवर्सिटी प्रोफेसर मुसलसल रिटायर होते गए, लेकिन उनकी जगह तकर्रुरी नहीं हुई। आखरी बार साल 2008 में यूनिवर्सिटी प्रोफेसर की तकर्रुरी हुई थी। तकर्रुरी तनाजे में रहने की वजह इस बैच के एक भी प्रोफेसर की पीजी महकमा में पोस्टिंग नहीं की गई।

रांची यूनिवर्सिटी के पीजी महकमा में असातिज़ा की काफी कमी है। असातिज़ा की औसत आयु 57 साल है, जिसका असर आने वाले वक़्त में दिखेगा। तकर्रुरी से ही असातिज़ा-तालिबे इल्म रेशियो में बेहतरी आ सकता है।
डॉ. संजय मिश्र, इक्वेक डायरेक्टर, आरयू