नई दिल्ली: पार्टी संबद्धता से परे होकर सदस्यों लोकसभा ने आज मांग किया कि मेडिकल दाखिले के लिए क्षेत्रीय भाषाओं में भी टेस्ट आयोजित किया जाए। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर नाराजगी जताई कि इस साल से ही एकमात्र टेस्ट आयोजित किया जाएगा। सदस्यों के भय में भाग लेते हुए सरकार ने सदन को आश्वासन दिया कि वह सुप्रीम कोर्ट को प्रोत्साहन देने की कोशिश करेगी कि नई प्रणाली को अपनाने के लिए समय की आवश्यकता है। पिछले महीने सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और सीबीएसई से इच्छा थी कि एकमात्र संयुक्त प्रवेश टेस्ट एमबीबीएस और बीडीएस कोर्सेस के लिए राष्ट्रीय पात्रता और प्रवेश टेस्ट (एन ई ई टी) आयोजित किया जाए।
अदालत ने राज्य सरकारों, घरेलू शिक्षा और अल्पसंख्यक शैक्षिक संस्थाओं की अलग से प्रवेश टेस्ट आयोजित करने की याचिका खारिज कर दी थी। शून्यकाल के दौरान यह मुद्दा उठाते हुए सदस्यों ने सरकार से आग्रह किया कि समस्या की एकाग्रता के लिए आवश्यक कदम उठाए जाएं और सुझाव दिया कि इस संबंध में एक अध्यादेश जारी किया जा सकता है।
सदस्यों के अनुरोध पर प्रतिक्रिया देते हुए केंद्रीय मंत्री संसदीय मामलों एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सरकार का सिद्धांत है कि संयुक्त प्रवेश टेस्ट आयोजित किया लेकिन हम अदालत को सूचित करेंगे कि बच्चों को अधिक राहत की आवश्यकता है। इस बात को दोहराया जाएगा और अदालत को प्रोत्साहन देने की कोशिश करेंगे। वेंकैया नायडू ने कहा कि कुछ राज्य सरकारें भी इस सिलसिले में अदालत का उल्लेख हो चुकी हैं।
उन्होंने कहा कि संयुक्त प्रवेश परीक्षा के बारे में दो विचारधाराओं पाए जाते हैं। कुछ घरेलू शैक्षिक संस्थान और राज्य सरकारें अपने दम पर टेस्ट आयोजित कर रहे हैं। कुछ अनियमितताओं का आरोप झयदिया गया है। इस बीच केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट से उल्लेख होकर अनुमति मांगी कि प्रवेश परीक्षा कृपया एमबीबीएस और बीडीएस शैक्षणिक वर्ष 2016-17 के बाद से 6 क्षेत्रीय भाषाओं में भी आयोजित किए जाएं। कांग्रेस के सदस्य राजीव सतो ने पुरजोर तरीके से कहा कि सरकार को इस समस्या के त्वरित यकसूई के लिए अध्यादेश जारी करना चाहिए या सुप्रीम कोर्ट से त्वरित संपर्क करना चाहिए। बीजद के साई पत्ती, तृणमूल कांग्रेस के काकोलिय धोश मैनुअल दार, कांग्रेस नेता मल्लिकार्जुन खरगे और अकाली दल के प्रेम सिंह चंदू माजरा ने भी समर्थन किया।