हैदराबाद 21 जून (सियासत न्यूज़) हिंदुस्तान में टी बी के सब से ज़्यादा मरीज़ आंध्र प्रदेश में हैं जब कि दोनों शहरों हैदराबाद और सिकंदराबाद में भी टी बी के बहुत ज़्यादा मरीज़ पाए जाते हैं लेकिन अफ़सोस कि दोनों शहरों में जो टी बी सेंटर्स चलाए जा रहे हैं वो इंतिहाई अबतर हालत में हैं जब कि वहां डॉक्टरों की अदम दस्तयाबी भी एक मसअला बना हुआ है।
शहर में हम ने एक ऐसा टी बी सेंटर भी देखा है जहां लैब टेक्निशियन और उन का असिसटेंट टी बी से मुतास्सिरा मरीज़ों में अदवियात तक़सीम कर रहे हैं। गोलकुंडा क़िला में एक क़दीम सरकारी हॉस्पिटल है इस हॉस्पिटल के एक कोने में मौजूद खन्डर नुमा कमरा में गुज़िश्ता बारह साल से एक टी बी सेंटर चलाया जा रहा है । हम ने देखा कि टी बी सेंटर की इमारत इंतिहाई शिकस्ता हो गई।
इमारत, इमारत नहीं बल्कि कोई भूत बंगला लग रही थी । क़ुतुब शाही दौर की तामीर कर्दा इस इमारत में चलाया जा रहा ये टी बी सेंटर कभी भी ख़ाक चाट सकता है । और एक तमाशा ये कि टी बी सेंटर के बिलकुल रूबरू बिजली का एक खंबा गिर गया है ताहम वो बर्क़ी तारों के सहारे झूल रहा है।
हम ने देखा कि मरीज़ डरते डरते टी बी सेंटर में दाख़िल हो रहे हैं । उन्हें अपनी बीमारी से कहीं ज़्यादा झूलते बर्क़ी तारों और शिकस्ता और बोसीदा खंबों से डर लगता है । हमें बताया गया कि गोलकुंडा क़िला गवर्नमेंट हॉस्पिटल के इस बोसीदा टी बी सेंटर से हर रोज़ 15 मरीज़ रुजू होते हैं लेकिन उन लोगों की शिकायत है कि डॉक्टर दस्तयाब रहता है और ना ही अदवियात मौजूद रहती हैं।
हालत मजबूरी में जो अदवियात मिलती हैं इस पर इकतिफ़ा किया जाता है । जबकि हॉस्पिटल के अमला ने बताया कि बिजली का खंबा गिरे 20 रोज गुज़र चुके हैं लेकिन महकमा बर्क़ी ने इस जानिब कोई तवज्जा ही नहीं दी । अगर टी बी सेंटर्स का इसी तरह हाल रहा तो मरीज़ों की हालत क्या होगी।
इस बारे में सोच कर ही दिल काँप जाता है। और ये एक संगीन मसअला बन सकता है। मर्कज़ी वज़ारते सेहत इस बात का दावा करती है कि मुल्क में टी बी पर कंट्रोल के लिए फ़ंड्ज़ की कोई क़िल्लत नहीं है।
हाल ही में गवर्नमेंट चेस्ट हॉस्पिटल के डिप्टी सुपरिन्टेन्डेन्ट और रियासती टास्क फ़ोर्स आर एन टी सी पी के सरबराह डॉक्टर के सुब्बा राव ने रियासत में टी बी के मरीज़ों से मुताल्लिक़ आदादो शुमार पर रौशनी डालते हुए बताया था कि रियासत में हर एक लाख अफ़राद में 258 टी बी से मुतास्सिर हैं और सालाना एक लाख बीस हज़ार नए क़ेसेस मंज़रे आम पर आते हैं।
डॉक्टरों का ये भी कहना है कि टी बी से डरने की ज़रूरत नहीं इस आरिज़ा का कामयाब ईलाज किया जा रहा है । सिर्फ़ एहतेयात, ईलाज और परहेज़ की ज़रूरत है । गोलकुंडा गवर्नमेंट हॉस्पिटल पर हुकूमत वज़ारते सेहत कलेक्टर और अवामी नुमाइंदों को ख़ुसूसी तवज्जा देने की ज़रूरत है । इस टी बी सेंटर को महफ़ूज़ और पुख़्ता इमारत में भी मुंतक़िल किया जाना ज़रूरी है।