ख़िलवत में मल्टी लेवल पार्किंग काम्प्लेक्स की तामीर (निर्माण ) के लिए हुकूमत का वाअदा वफ़ा (पूरा) ना हुआ ।

नुमाइंदा ख़ुसूसी – 5 जून 2011 को चीफ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी के इन ब्यानात से गूंज रहा था जिस में उन्हों ने बार बार इस बात का वाअदा किया था कि वो पुराना शहर को नए शहर के मुमासिल (जैसा) बना देंगे । शहर के इस हिस्सा में अवाम (जनता) को तमाम सहूलतें फ़राहम की जाएगी, इस इलाक़ा के अवाम (जनता) के साथ इमतियाज़ी सुलूक (भेद-भाव) की जो शिकायतें की जाती हैं उन्हें दूर कर दिया जाएगा और पुराना शहर में बस तरक़्क़ी ही तरक़्क़ी होगी, अपने हंगामी दौरा के मौक़ा पर चीफ मिनिस्टर ने तालियों और नारों की गूंज में मुख़्तलिफ़ मुक़ामात पर 55 करोड़ रुपये मालियती तामीरी प्रोजेक्ट्स के संग बुनियाद भी रखे।

इसी दिन अपने दौरा में चीफ मिनिस्टर ने 11 बजे सुबह ख़िलवत में मल्टी लेवल पार्किंग काम्प्लेक्स की तामीर (निर्माण ) का संग बुनियाद भी रखा और अवाम (जनता) से बहुत सारे वाअदे भी किए और कहा कि अंदरून एक साल ये काम्प्लेक्स तामीर (निर्माण ) हो जाएगा जिस से मुक़ामी अवाम (जनता) और सय्याहों (टूरिस्ट) को गाड़ियों की पार्किंग में बड़ी सहूलत होगी । हैरत-ओ-अफ़सोस की बात है कि कोई भी चीफ मिनिस्टर हो पुराना शहर का दौरा करते हुए हिमालयाई वाअदे कर जाता है लेकिन फिर दुबारा वो इन वाअदा पर अमल आवरी करवाने की ज़हमत करना तक गवारा नहीं करता ।

इसी तरह हमारे चीफ मिनिस्टर किरण कुमार रेड्डी भी अपने तमाम वादों को फ़रामोश कर (भुला)चुके हैं। उन्हों ने वाअदा किया था कि एक साल के अंदर ख़िलवत में मल्टी लेवल पार्किंग काम्प्लेक्स तामीर (निर्माण ) हो जाएगा लेकिन आज संग बुनियाद रखे 13 माह का अर्सा हो चुका है, तामीर (निर्माण ) मुकम्मल होना तो दूर की बात है , तामीर (निर्माण ) शुरू ही ना हो सकी । तक़रीब संग बुनियाद के दूसरे दिन अख़बारात में चीफ मिनिस्टर के दौरा पुराना शहर को काफ़ी अहमियत दी गई और तफ़सीली रिपोर्टस शाय की गएं जिस में बताया गया था कि चीफ मिनिस्टर ने पुराना शहर को नए शहर के मुमासिल (जैसा) बनाने का ऐलान किया है । 55 करोड़ रुपये लॉगती कई प्रोजेक्ट्स का संग बुनियाद रखते हुए ये भी किया कि इन प्रोजेक्ट्स की जल्द से जल्द तकमील होगी।

हुकूमत की वाअदा ख़िलाफ़ी से परेशान और ब्रहम शहर के बाशऊर अफ़राद ने सियासत से रुजू होकर अख़बारात के वो तराशे दिखाए और बताया कि चीफ मिनिस्टर के तमाम वाअदे झूटे निकले। यहां तक कि ख़ज़ाना-ए-आमिरा (सरकारी ख़ज़ाना ) में मल्टी लेवल पार्किंग काम्प्लेक्स की तामीर (निर्माण ) शुरू तक ना हो सकी । बेशक अवाम (जनता) का ये कहना दरुस्त है और उन्हें हुकूमत और चीफ मिनिस्टर से ये पूछने का भी हक़ है कि आख़िर पुराना शहर में ही काम सुस्त रवी का शिकार क्यों होता है ? आख़िर शहर के इसी हिस्सा में प्रोजेक्ट्स पर संग बुनियाद रखने के बावजूद काम शुरू क्यों नहीं किया जाता ? क़ारईन (पाठकों) आप को बतादें कि मल्टी लेवल पार्किंग काम्प्लेक्स का संग बुनियाद दरअसल ख़िलवत में वाक़ै ओलड पैंशन ऑफ़िस पर रखा गया, ये क़दीम इमारत चौमुहल्ला पैलेस का ही हिस्सा था और आसफ़जाही हुक्मराँ इसे सरकारी ख़ज़ाना के तौर पर इस्तिमाल किया करते थे ।

यही वजह है कि उसे आज भी ख़ज़ाना-ए-आमिरा (सरकारी ख़ज़ाना) के नाम से याद किया जाता है । इस इमारत में आसफ़जाही हुकमरानों ने मुल्की ख़ज़ाना के लिए एक मज़बूत स्ट्रोंग रुम भी तामीर (निर्माण ) करवाया था और उस वक़्त ये इमारत ज़बरदस्त सेकोरेटी घेरे में रहा करती थी लेकिन हैदराबाद दक्कन के इंडियन यूनीयन में इंज़िमाम (मिलने) के बाद ये इमारत रियासती हुकूमत के हवाले करदी गई जिस ने उसे पैंशन ऑफ़िस की हैसियत से इस्तिमाल का फैसला किया जहां वज़ीफ़ा जात (पेंशन ) की रक़म रखी जाती थी और वज़ीफ़ा याबों (पेंशन धारियों ) में इस की तक़सीम अमल में आती थी। ये सिलसिला तकरीबन दस साल क़बल तक भी जारी रहा लेकिन जैसे ही हुकूमत ने वज़ीफ़ा की तक़सीम तवज्जा मर्कूज़ कर दिया। पैंशन ऑफ़िस भी तारीख की दास्तां का एक हिस्सा बन कर रह गया है ।