ख़ुद एतेमादी और मबसूत मंसूबा बंदी पर कलेक्टर बनना आसान

सिर्फ़ कॉलेज जाने आने और इमतेहानात में कामयाब होकर वक़्त गुज़ार लिया जाये तो इस तरह की तालीम मुस्तक़बिल के लिए कोई फ़ायदेमंद नहीं होगी बल्कि अपने लायेहा-ए-अमल और मंसूबे की तकमील और हुसूलयाबी के लिए मज़बूत इरादा और मेहनत की जाये तो पहाड़ों से भी टकरा जाने का हौसला पैदा होगा।

इस तरह के यक़ीन को पैदा करलिया जाये तो क़दम उगे बढ़ाने पर सिविल सर्विस के इमतिहानात में कामयाबी बहुत आसान होजाएगी, ये कोई बड़ा मरहला नहीं होगा।

गवालयार के कलेक्टर पी नरहरि ने ये बात कही। वो करीमनगर में ज़ेरे तालीम तलबा और पदापली गाइतरी डिग्री कॉलेज में ज़ेरे तालीम तलबा ओ- तालिबात के साथ मुनाक़िदा दो बद्दू प्रोग्राम को मुख़ातिब कररहे थे।

उन्होंने कहा कि तलबा में ख़ुद एतेमादी का होना ज़रूरी है इस के लिए तलबा को चाहीए कि वो अपनी मालूमात में इज़ाफ़ा करें जिस के मुताला बेहद ज़रूरी है।

तलबा मबसूत मंसूबा बंदी करलींतो कामयाबी आसान होगी। डिग्री, ग्रैजूएशन के बाद चार साल सख़्त मेहनत करलीं तो कलेक्टर बन सकते हैं। उन्होंने कहा कि हमारे ज़िला से आई ए एस के लिए सिविल के लिए बहुत कम तादाद में मुंतख़ब हुई है।